स्वाभिमान एक संकलन है जिसमें कविता , ग़ज़ल , लेख , कहानी , जैसी अनेक विधाएँ संकलित हैं। अपने ‛स्व' को परिभाषित करते हुए , स्वयं को स्वयं से मिलाते हुए , नव-युवा लेखकों को संग्रहित कर एक ऐसा संकलन प्रस्तावित किया गया है , जो समकालीन युवाओं के भीतर छिपे "स्व" को बाहर निकालता है और उससे अपनी पहचान कराता है। स्वाभिमान किसी एक व्यक्ति का भी हो सकता है और समाज का भी , सम्पूर्ण प्राणी मात्र का अपना स्व होता है । इस संकलन के एकमात्र उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पूरा प्रयास किया गया है कि कोई भी रचना सीधे पाठक के दिल में उतर कर उसके व्यवहार में बस जाए। अतः सभी अपने स्व को पहचान कर स्वयं पर गर्व कर सकें।
स्व से स्व की पहचान हो रही हैं,
एक नए दौर की शुरुआत हो रही हैं ।