……नवीन का नाम सुनते ही ऐसा लगा, मानो उसका पूरा बचपन फिर से सजीव हो उठा हो। बचपन की तमाम छोटी-बड़ी घटनाएँ उसके मस्तिष्क के चित्रपट पर उभरने लगीं। नवीन का मासूम और भोला चेहरा उसकी स्मृतियों में फिर से जीवंत हो गया…..
……आध्यात्मिकता दयालुता और करुणा के कार्यों से भी प्रकट होती है। जब कोई व्यक्ति किसी स्थानीय संस्था में सेवा करता है, तो उसे उद्देश्य और संतोष की अनुभूति होती है। दूसरों की सहायता करके वह मानवता के अर्थ और उसकी गहराई को समझता है और समुदाय में एकता की भावना को बढ़ावा देता है……
……कभी-कभी मनुष्य ऐसी स्थिति में फँस जाता है कि उसके जीवन के बीते हुए पल उसे किसी भी तरह से सामान्य रूप से जीने नहीं देते। वह उन पलों को लाख भुलाने का प्रयास करे, लेकिन वे स्मृतियाँ बार-बार उसके मन-मस्तिष्क पर हावी हो जाती हैं……
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