'त्रिवेणी' मेरी प्रकाशित होने वाली दूसरी संयुक्त काव्य रचना है।मन की बात लिखते हुए सबसे पहले यही विचार आ रहा है कि जो काम जैसे होना होता है, वैसे ही होता है । अभी तो पहला साझा काव्य संग्रह छपा है कि अचानक ये विचार डॉ विनय सिंघल जी की ओर से रखा गया कि क्यों न हम तीनों डॉ विनय सिंघल, श्रीमती अंजू कालरा दासन और मैं डॉ वीणा शंकर शर्मा,मिलकर एक त्रयी संकलन की रचना करें।