ये जिंदगी की कुछ यादें है जिन्हें में पन्नों में पिरो रहा हूं। मैं ये तो नहीं जानता हूं कि अपने इनमें से कितनी यादें जी होगी । ये जरूर जनता हूं कि आप मेरी यादों से इत्तफाक रखेगें ।
इस छोटी सी जिंदगी मैं मोड़ बहुत आए , जिनमें मैंने ठोकरे भी बहुत खाई ,और इन ठोकरों से मैंने बहुत कुछ सीखा ,और बहुत कुछ गवां दिया।
जो सीखा और जो गवां दिया वह सब में इन पन्नों पर उतार रहा हूं।
उम्मीद करता हूं कि इस आईना में आपको अपना भी अक़्स नज़र आएगा।
कहानियों का एक दस्तूर होता हे, वो चलती रह्ती है
ख़त्म होने के बाद भी, तो बस एक इसी कहानी बुनने के लिए निकले है,
जो लंबी नहीं, बड़ी हो।
मेरी जिन्दगी के यहाँ तक के सफ़र में बहुत साथियों का साथ रहा सबसे पहले मैं अपनी माँ तारा राठौर के साथ साथ मेरे सात प्रिय दोस्तों राहुल विश्वकर्मा, तान्या साहू अनीमेश विश्वकर्मा, जतिन नागवंशी, भूमिका केसरवानी, पुष्कर दुबे और साहिल साहू सहित सभी मित्रों को मेरी किताब दो घूँट जिंदगी के (कभी खुशी कभी ग़म) समर्पित हैं।
शुक्रिया मुझे तमाम प्यारी यादें देने के लिए , मुझसे दोस्ती करने के लिए,और मुझे खुद से दोस्ती कराने के लिए।।