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Vallari / वल्लरी

Author Name: Murlidhar Srivastava 'shekhar' | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

'वल्लरी ' मुरलीधर श्रीवास्तव की प्रेम कविताओं  का संग्रह है जिसे  उन्होंने  यौवन  की दहलीज पर लिखी थी और झिझकते हुए   प्रौढ़ उम्र में पहली बार  प्रकाशित करवाया था।  प्रथम संस्करण  के लगभग पचास वर्षों बाद इन कविताओं से गुजरते हुए पीढियों के अंतराल को समझा जा सकता है। इन  कविताओं में प्रेम की अभिव्यिक्त को आज की पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया है  उनकी पौत्री डॉ जूही समर्पिता ने। इन कविताओं में प्रेम  प्रतीकात्मक है। प्यार छलकता है, अश्लीलता नहीं। वासनात्मक बिम्ब तक कहीं नहीं मिलते । टैगोर की 'गीतांजली' के अनुगायक  मुरलीधर श्रीवास्तव  'शेखर ' की यह कृति  नयी कविता के दौर  में क्लासिक की श्रेणी  में रखी जा सकती है।​

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मुरलीधर श्रीवास्तव ‘शेखर’

साहित्य  को समर्पित हिन्दी के अनन्य सेवक डॉक्टर मुरलीधर श्रीवास्तव राजेंद्र कॉलेज छपरा  बिहार के  प्राचार्य थे। हिन्दी व्याकरण के प्रकांड विद्वान और ओजस्वी वक्ता मुरलीधर ने गीतांजलि का  भावानुवाद  बंगला से हिन्दी में ६० के दशक में किया था  जो काफ़ी लोकप्रिय पुस्तक थी। सरल जीवन स्वस्थ चिंतन की शिक्षा अपने छात्रों को सदा देते रहे।भारती और भारतीयता में निष्ठा रखने वाले मुरली बाबू की पौत्री डॉक्टर जूही समर्पिता ने  उनके प्रेम गीतों के संकलन ‘वल्लरी’ का पुनः प्रकाशन कर अपने बाबा के प्रति श्रद्धा अर्पित किए हैं।

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