वर्ण पिरामिड हिंदी साहित्य में एक नई काव्य-विधा है। इसके जनक श्री सुरेश पाल वर्मा 'जसाला' जी है। यह हाइकु की तरह विषम चरणों वाली काव्य-विधा है। इस विधा में सात चरण हैं। अर्थात् यह सात पंक्तियों वाली एक छोटी-सी कविता है। प्रथम पंक्ति में एक, द्वितीय में दो, तृतीय में तीन, चतुर्थ में चार, पंचम में पाँच, षष्टम में छः और सप्तम में सात वर्ण होते हैं।