जहां दो दिल मिलते है वहां किस्मत नहीं मिलती
अफसोस की सच्चे चाहत की कीमत नहीं मिलती।
ना कद्र मोहब्बत की दुनियावालो ने की है कभी
चाहकर भी क्यों मोहब्बत की जन्नत नहीं मिलती ।
.जुदाई में घुट घुट कर पीते है जाम अश्कों का सभी
चाहत पर मोहर लगा दे, रब की इनायत नहीं मिलती।
.सहन करनी पड़ती जगहसाई तो रुसवाई कभी
रूह मिल जाती पर ताउम्र की सोहबत नहीं मिलती ।
.ना ख्वाबों आसमां, ना ख्वाहिशों की जमीन मिलती
जो संभाली जाए वो मोहब्बत की विरासत नहीं मिलती।
.जहां दो दिल मिलते है वहां किस्मत नहीं मिलती
अफसोस की सच्चे चाहत की कीमत नहीं मिलती।
. जैसे प्रेम में संयोग अतिउच्चतम अवस्था है वैसे ही वियोग भी अपने प्रिय के वियोग में मन को होती पीड़ा को दर्शाती अवस्था है। वियोग प्रिय व्यक्ति से मिलन न होने की क्रिया या भाव, किसी से बिछुड़ने या दूर होने की अवस्था इसी भाव को काव्य रूप में इस किताब में लिखने का प्रयास किया है।अपने प्रिय के बिछोह से दिल तड़पता है। उसकी एक झलक पाने के लिए तरसता है। मन का सुकून, चैन सब छीन जाता है। जैसे प्रिय ही दुनिया बना हो...उसी से जिन्दगी की सारी खुशियां जुड़ी हो। प्रिय के बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगता है दुनिया वीरान सी लगती है।इसी विरह की तड़प को मैंने प्रस्तुत पुस्तक में शब्दों में बांधने का प्रयास किया है आशा करती हूं आप सभी के दिल की छू जाए।
.यह अश्क है मेरे जो आज लफ्ज़ बने हैं
मेरे वियोगी मन के लिए नज़्म बने है ।
देख लेना मेरी हर आह पर वाह निकलेगी
जुदाई-ए-मोहब्बत की बज़्म बने है।