आरक्षण कि ज़ंग आज की समस्या नहीं है, यह तो उसी समय प्रारम्भ हो गई थी जब मानवता ने अपने पराये की पहचान करना प्रारम्भ कर दिया था। जैसे ही मानव को यह ज्ञान प्राप्त हुआ, उसने अपने प्रतिद्वंदियों को हराकर धन, धरती और सत्ता पर अपना अधिकार जताना प्रारम्भ कर दिया था। फिर उस धन, धरती और सत्ता पर अपना स्थाई अधिपत्य स्थापित करने हेतु वर्ण व्यवस्था लागू करके अपने स्थान को सुरक्षित कर लिया। इस प्रकार उन्होंने अपने लिए कर्म के आधार पर सोपानीकृत समाज में अपने लिए उच्च पदों पर आरक्षण का खेल खेला।