योग भारतीय सनातन परंपरा और ज्ञान का सदैव से हिस्सा रहा है। पिछले सैकड़ों सालों में विदेशी आक्रान्ताओं का राज्य रहने से भारतवर्ष का पुराना ज्ञान जो हमारे महान ऋषियों की देन था, जैसे लुप्त ही हो गया। योग उसमें से एक है। पिछली सदी में जब कुछ लोगों ने योग (विशेष रूप से योगासनों) का प्रचार प्रसार पाश्चात्य देशों में किया, तो यह विश्व भर में योगा (Yoga) के रूप में प्रचलित होकर भारत वापस पहुंचा हैं।
परन्तु क्या योग सिर्फ कुछ आसनों तक ही सीमित है? और इसका महत्व सिर्फ हमें स्वस्थ रखने में ही है? पुराणों और प्राचीन पुस्तकों में क्या योग का मतलब कुछ और भी है? योग के कितने प्रकार है? और क्या योग के विभिन्न प्रकारों द्वारा हम अपने शरीर की रचना से लेकर ब्रह्माण्ड के रहस्यों तक को समझ सकते है? क्या वाकई हमारे प्राचीन ग्रन्थों में ये ज्ञान है?
देवता और असुर कौन है? इन देवी देवताओं और असुरों की उत्पत्ति कैसे हुई? क्या योग विज्ञान से यह सब समझा जा सकता है? और क्या इस रहस्यमयी ज्ञान को जानकर अमरत्व के बारे में समझ सहते हैं? जीवन, मृत्यु और अमरत्व के रहस्य क्या हैं?
इस पुस्तक में लेखक ने सरल भाषा में एक कहानी के सूत्र में पिरोकर इन जटिल विषयों को समझाने का प्रयास किया है, जो लेखक की पिछली पुस्तक ‘‘यती-एक रहस्य’’ के आगे की कहानी है तथा ये पुस्तक ट्राइलॉजी की दूसरी पुस्तक है ।
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