योगसूत्र ग्रंथ महर्षि पतंजलि द्वारा रचित है। यह ग्रंथ सूत्रों के रूप में लिखा गया है। सूत्र-शैली भारत की प्राचीन दुर्लभ शैली है जिसमें विषय को बहुत संक्षिप्त शब्दों में प्रस्तुत किया जाता है। यह चार पादो में विभाजित है जिसमें 196 सूत्र निबद्ध है। इस ग्रंथ में महर्षि पतंजलि ने यथार्थ रूप में योग के आवश्यक आदर्शों और सिद्धांतों को प्रस्तुत किया है। पतंजलि का “योगसूत्र“, योग विषय पर एकमात्र सबसे प्रामाणिक पुस्तक के रूप में स्थापित है। योगसूत्र ग्रंथ के चार पाद हैंः समाधि पाद, साधन पाद, विभूति पाद, और कैवल्य पाद।