प्रस्तुत काव्यसंग्रह 'जिंदगी, आ रहा हूँ मैं'' ऐसी छोटी छोटी बातों का काव्य रूप में संग्रह है जो गतिशील जीवन मे गाहे बगाहे होती रहती हैं। जीवन एक सफर है, जब हम इस सफर को साक्षी बन कर जीते हैं तो जीवन आनंदित हो जाता है और जब हम भूतकाल के थपेड़ों को याद कर के या भविष्य की चिंताओं में जीने लगते हैं तो जिंदगी बोझिल हो जाती है। संग्रह की पहली कविता जिंदगी आ रहा हूँ मैं हमे षट्कोणीय जीवन को देखने और जीने के लिए प्रेरित करती है। अच्छे आचरण का, लोगो से संबंध बनाने का, रिश्तों को सहेजने का, काम को अच्छे ढंग से करने का, डर से पार पाने का, अपने भीतर की कस्तूरी खोजने का और दिन प्रतिदिन खुद में सुधार करके बेहतर बनते जाने का नाम ही जीवन है।