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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
डॉ. सुभाष गक्खड़ 'कंवल' का नया काव्य-संग्रह "परछाइयां" साहित्य प्रेमियों के बीच विशेष उत्सुकता का विषय बना हुआ है। यह संग्रह इंसानियत, समाज और जीवन की गहराइयों को छूने वाली कवित
डॉ. सुभाष गक्खड़ 'कंवल' का नया काव्य-संग्रह "परछाइयां" साहित्य प्रेमियों के बीच विशेष उत्सुकता का विषय बना हुआ है। यह संग्रह इंसानियत, समाज और जीवन की गहराइयों को छूने वाली कविताओं का संकलन है, जिसमें "परछाइयां," "आखिर तो हम सब मानव हैं," "शराफत," "सब्र," "सत्ता," और "बचपन" जैसी कविताएं शामिल हैं।
"परछाइयां" में डॉ. गक्खड़ ने जीवन के विविध अनुभवों और समाज की जटिलताओं को बेहद संवेदनशीलता और गहराई से प्रस्तुत किया है। उनकी रचनाएं जीवन की सच्चाइयों और मानवीय भावनाओं को सजीव करती हैं, जो पाठकों को आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करती हैं। यह संग्रह पाठकों के दिलों को छूने और उन्हें जीवन की असलियत से रूबरू कराने वाला एक अनमोल साहित्यिक योगदान साबित होगा।
इस काव्य-संग्रह के प्रकाशन के साथ ही डॉ. सुभाष गक्खड़ 'कंवल' की लेखनी एक बार फिर से साहित्य जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ने के लिए तैयार है।
डॉ. सुभाष गक्खड़ 'कंवल' का नया काव्य-संग्रह "परछाइयां" साहित्य प्रेमियों के बीच विशेष उत्सुकता का विषय बना हुआ है। यह संग्रह इंसानियत, समाज और जीवन की गहराइयों को छूने वाली कवित
डॉ. सुभाष गक्खड़ 'कंवल' का नया काव्य-संग्रह "परछाइयां" साहित्य प्रेमियों के बीच विशेष उत्सुकता का विषय बना हुआ है। यह संग्रह इंसानियत, समाज और जीवन की गहराइयों को छूने वाली कविताओं का संकलन है, जिसमें "परछाइयां," "आखिर तो हम सब मानव हैं," "शराफत," "सब्र," "सत्ता," और "बचपन" जैसी कविताएं शामिल हैं।
"परछाइयां" में डॉ. गक्खड़ ने जीवन के विविध अनुभवों और समाज की जटिलताओं को बेहद संवेदनशीलता और गहराई से प्रस्तुत किया है। उनकी रचनाएं जीवन की सच्चाइयों और मानवीय भावनाओं को सजीव करती हैं, जो पाठकों को आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करती हैं। यह संग्रह पाठकों के दिलों को छूने और उन्हें जीवन की असलियत से रूबरू कराने वाला एक अनमोल साहित्यिक योगदान साबित होगा।
इस काव्य-संग्रह के प्रकाशन के साथ ही डॉ. सुभाष गक्खड़ 'कंवल' की लेखनी एक बार फिर से साहित्य जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ने के लिए तैयार है।
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