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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
उत्तराखंड में भारतीय तिब्बत सीमा पर स्थित जोहार घाटी के लोग शौकी भाषा बोलते हैं। शौकी, कुमाउनी की तरह हिन्दी की एक बोली है। इस भाषा को पहले रंगकस कहते थे। बाद में यह सुकि खुन के
उत्तराखंड में भारतीय तिब्बत सीमा पर स्थित जोहार घाटी के लोग शौकी भाषा बोलते हैं। शौकी, कुमाउनी की तरह हिन्दी की एक बोली है। इस भाषा को पहले रंगकस कहते थे। बाद में यह सुकि खुन के रूप में जानी गई जिसके बाद इसे सुकि कहा गया और अब शौकी के नाम से जानी जाती है।
इस शब्दकोश का संकलन श्री गजेन्द्र सिंह पाँगती ने किया है जो शौका समाज के एक वरिष्ठ सदस्य हैं। इस शब्दकोश के अलावा उन्होंने शौका समाज के इतिहास और संस्कृति पर अनेक पुस्तकें लिखीं हैं।
उत्तराखंड में भारतीय तिब्बत सीमा पर स्थित जोहार घाटी के लोग शौकी भाषा बोलते हैं। शौकी, कुमाउनी की तरह हिन्दी की एक बोली है। इस भाषा को पहले रंगकस कहते थे। बाद में यह सुकि खुन के
उत्तराखंड में भारतीय तिब्बत सीमा पर स्थित जोहार घाटी के लोग शौकी भाषा बोलते हैं। शौकी, कुमाउनी की तरह हिन्दी की एक बोली है। इस भाषा को पहले रंगकस कहते थे। बाद में यह सुकि खुन के रूप में जानी गई जिसके बाद इसे सुकि कहा गया और अब शौकी के नाम से जानी जाती है।
इस शब्दकोश का संकलन श्री गजेन्द्र सिंह पाँगती ने किया है जो शौका समाज के एक वरिष्ठ सदस्य हैं। इस शब्दकोश के अलावा उन्होंने शौका समाज के इतिहास और संस्कृति पर अनेक पुस्तकें लिखीं हैं।
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