मेरी चित्कला कोरे कागज पर शब्दों की माला पिरोती है। गृहणी हूँ अतः प्रत्येक लेखन में कहीं खुबसूरत जिन्दगी के अहसास हैं तो कहीं रिश्तों की खुशबू है। कहीं तन्हाईयों का आलम है तो कही
हमारे देश में बहोत से महान शायर हुये हैं। जो भी थोडा बहुत मैंने उन्हे पढा है उसी से सीिकर अपनी#नूर-ए-आफ़ताब* पुस्तक में र्लिने की कोर्शश की है। महान शायरों के आगे मैं ततनका मात्र हू
हिन्दी हमारी मातृभाषा तो जरूर बन गई है लेकिन हम लोग इस पर ध्यान कितना देते हैं वो देखने वाली बात है .... बाहर के देश... चीन हो या जापान ... जर्मनी...फ्राँस ... इटली.. आस्ट्रिया... रूस आदि जैसे दे
मेरी दुसरी पुस्तक "बेटी की पाती" को मैंने मेरी माँ और पिताजी को समर्पित किया है। माँ बच्चों की गुरु होती है । जिनके साये में बच्चों को अच्छे संस्कार मिलते हैं। मेरे लिये दोनों ही म
मेरी यही कोशिश रहती है कि मैं आम जनता को अपने स्वतन्त्र लेखन के माध्यम से अपने जज्बात पहुंचा सकूँ । प्रथम प्रयास है ... इस पुस्तक को मैनें #इज़हार का नाम दिया है । अनेक नज़्म तथा छोटी -
लघू कहानी ........ #मानवता सबसे बड़ा धन है कुछ दिन पहले ही पति का तबादला दिल्ली हुआ । वो एक प्राईवेट कम्पनी में इंजीनियर Read More...
ज्ञान का प्रकाश कभी कभी मन क्याें बैचेन होता है... वह भी इस हद तक की ना कुछ बात करने का मन है ना ही कोई काम करने का। ऐसे ल Read More...