कावेरी नंदन चंद्रा बताती हैं कि, बोल चाल की भाषा में बात
करें तो, जहाँ हम (हम से मेरा मतलब 'मैं' से है) जीवन इकठ्ठा
कर रहें हैं, उस पात्र में एक सूक्ष्म छिद्र है, जिस में से इकठ्ठा
करवट करवट रात कटी, परत परत जब खबर खुली, दबे पाँव आये दुश्मन की, दस्तक से मन में हूँक उठी | हर तरफ थे पसरे सन् Read More...
कल मेरी फ्रेंड ने मुझे याद दिलाया की यह तीसरा लॉक डाउन है, करीबन २ पूरे माह गुज़र चुके हैं | यकीं मानिये पहले लॉक डाउन Read More...