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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palडॉ मीनू पूनिया जन्म: 8 मई 1989 भिवानी, हरियाणा पति: राजेश पूनिया (महासचिव काव्या खेलगांव संस्थान राजस्थान) भाषाओं का ज्ञान :अंग्रेजी, हिन्दी, गुजराती शिक्षा: स्नातकोत्तर (1 अंग्रेजी साहित्य 2 हिंदी साहित्य 3. समाजशास्त्र 4. लोक प्रशासन Read More...
डॉ मीनू पूनिया
जन्म: 8 मई 1989 भिवानी, हरियाणा
पति: राजेश पूनिया (महासचिव काव्या खेलगांव संस्थान राजस्थान)
भाषाओं का ज्ञान :अंग्रेजी, हिन्दी, गुजराती
शिक्षा: स्नातकोत्तर (1 अंग्रेजी साहित्य 2 हिंदी साहित्य 3. समाजशास्त्र 4. लोक प्रशासन 5 राजनीतिक विज्ञान ), बी.एड. ए.डी.सी.ए., सी.बी.आई.एल. डी.एस.पी. आर। कुल 250 (डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स)
व्यवसाय : • सैन्ट्रल को ऑपरेटिव बैंक जयपुर, राजस्थान में कार्यरत
खेल उपलब्धि: मार्शल आर्ट की अन्तराष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता एवं पूर्व में राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य।
रिकोर्डस एवं सम्मान: इण्डिया बुक ऑफ रिकोर्डस 2017, नेशन प्राईड बुक ऑफ रिकोर्डस 2019, वर्ल्डकिंग बुक ऑफ रिकोर्डस 2017, वर्ल्ड रिकोर्ड यूनिर्वसिटी लंदन से डॉक्टरेट की मानद उपाधि, इण्डियाज ग्रेट लीडर अवार्ड 2018, रेड एफ. एम 94.3 द्वारा सम्मानित, सशक्त नारी सम्मान 2019, विमेन ऑफ दी फ्यूचर अवार्ड 2019, अभिजना साहित्य सम्मान 2019, स्व सुमित्रानंदन पंत स्मृति साहित्य सम्मान 2020, कोरोना वॉरियर्स सम्मान 2020, हावर्ड मैडिकल स्कूल द्वारा आयोजित मैकेनिकल वैटिलेशन फोर कोविड-19 सर्टिफिकेट 2020, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकोर्डस युनाईटिड किंगडम 2020, ऐशिया बुक ऑफ रिकोर्डस 2021. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकोर्ड 2021, काव्य प्रभा कवि सम्मान 2020, उतराखंड, राष्ट्र भाषा गौरव सम्मान 2020, नई दिल्ली, अनुभूति साहित्य सम्मान 2020, उत्तराखंड, जयपुर रत्न सम्मान 2021, साहित्यनामा गौरव पुरस्कार 2021, कोरोना सम्मान, SHE INSPIRE AWARD, MENCHESTER, ENGLAND
व्यक्तित्व पर लेख: Future Visionary Leader For India, Global Elite Media Magazine Australia, हरफनमौला मीनू पूनिया, भारतीय खिलाड़ी बेटियां, ई मैगजीन हर स्त्री एक प्रेरणा
सम्पादित काव्य संग्रह: मेरे अहसास, व्यग्य की नई धार, आत्म जागरूक नारी स्मृद्ध भारत,कोरोनाकालकाकाव्यचित्रण, सात्विक धारा 2022, साझा काव्य संग्रह (अभिजना, काव्य प्रभा, रिश्तों का ताना-बाना, दिव्य चेतना, अनुभूति, कहानियां, नई आवाज, कोरोना), UNLOCK YOUR PURPOSE HINDI VERSION
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Achievements
बिना उदेश्य का मानव बिना पतवार की नौका के समान होता है |
इस जग में आपको दो तरह के इंसान मिलते हैं-
पहले वो जो आत्मविश्वास के साथ यह कह सकते हैं कि मै स्वयं की नौका का ड्राईवर हू
बिना उदेश्य का मानव बिना पतवार की नौका के समान होता है |
इस जग में आपको दो तरह के इंसान मिलते हैं-
पहले वो जो आत्मविश्वास के साथ यह कह सकते हैं कि मै स्वयं की नौका का ड्राईवर हूं
और दूसरे वो जो स्वयं को बिना पतवार की नौका के समान महसूस करते हैं।
अगर आप दूसरी तरह के इंसान की श्रेणी में हो तो आपने इस ईबुक को पढ़ने का सही निर्णय लिया है। यही आपके उद्देश्य को पहचानने की सबसे पहली सीढ़ी है। इसके अध्ययन के बाद आप अपने उद्देश्य का स्टेरिंग खुद घुमा सकोगे।
नहीं रखा ध्यान हमने प्रकृति का,
तभी तो आज घुटना पड़ गया
वायरस संक्रमण तो बस बहाना है,
गुस्सा प्रकृति का "कोरोना" जिद्द पर अड़ गया।
सच ही तो है अपनी इस पुस्तक की एक कविता म
नहीं रखा ध्यान हमने प्रकृति का,
तभी तो आज घुटना पड़ गया
वायरस संक्रमण तो बस बहाना है,
गुस्सा प्रकृति का "कोरोना" जिद्द पर अड़ गया।
सच ही तो है अपनी इस पुस्तक की एक कविता में कोरोना को मैनें "प्रकृति का गुस्सा" की संज्ञा दी है। हमनें ही तो प्रकृति का मान करना छोड़ दिया है या कहूं कि प्रकृति की साज संभार करना व्यस्तता की वजह से भूल गये हैं। शायद इसी वजह से हमें रोज नई नई बिमारी, वायरस और प्राकृतिक आपदाओं से लड़ना पड़ रहा है। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसे भयानक कोरोना वायरस का हमें सामना करना पड़ेगा।
इस कोरोना काल में सब रूक रूक सा गया था। सबकी जिन्दगी सुस्त और स्थिर हो गयी थी या यूं कहूं कि चलता फिरता इंसान एक लाश बन गया था। दिन रात मेहनत कर इंसान ने स्वयं एवं परिवार के रहने के लिये घर बनाया तथा कोरोना ने इसी घर में इंसान को कैद कर दिया। सभी को घुट घुट कर जीने को मजबूर कर दिया। इस भयंकर परिस्थिति में भी आवश्यक सेवाओं से संबंधित समस्त कर्मचारियों जैसे रक्षा, बैंक, स्वास्थ्य इत्यादि ने हम सबकी रक्षा के लिये कोरोना योद्धा बन कर अपनी सेवाएं दी हैं।
मैं हृदय तल से समस्त कोरोना योद्धाओं का धन्यवाद करती हूं, जो अपनी और अपने परिवार की जान जोखिम में डालकर हमारे लिये डटे रहे। इसी कोरोना काल लॉक डाउन की अवधि में मैनें अपनी इस पुस्तक को पूर्ण किया है, जिसमें मैनें कविता रूप में अपने विचारों को उतारा है। भगवान से बस यही दुआ करती हूं कि सम्पूर्ण संसार को इस महामारी से शीघ्र ही निजात देकर हमारी दिनचर्या को दोबारा पहले जैसा बना दे।
डॉ मीनू पूनिया
ये कहानी है पालनपुर जगह की जो पहाडी के तट पर स्थित छोटा सा गांव है। यहां बस 15-20 परिवार ही निवास करते हैं। गांव में ही ए Read More...
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