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Vivek SreedharAuthor of Ketchup & Curryकुमार मेरा नाम नहीं है लेकिन कुमार मैं ही हूँ। कुमार संवाद कुमार की बातें हैं। मुझे लोग क्यूँ पढ़ें इसका उत्तर मेरे पास नहीं है सिवाय इसके की मैं कबीर की तरह बहुत सारे लोगों को सुनता हूँ और कबीर की तरह दिल से कहता हूँ। मैं आईआईटी, आईआईएम और इनवेस्टमेंट बैंकिंग वाला नहीं हूँ और न ही मैं सफल एनतेरप्रेन्योर हूँ। मैं कोई राजनेता या बड़े पुरस्कारों से सम्मानित समाजसेवी भी नहीं हूँ। ऐसा भी नहीं है की मैंने जीवन में कुछ नहीं उखाड़ा है लेकिन उससे मेरी सच लिखने की हिम्मत, योग्यता और नीयत निर्धारित नहीं होती है।
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इस पुस्तक में भारत का इतिहास सम्मिलित है, इसमें वर्तमान के तथ्य भरे हुए हैं, इसमें भविष्य के भारत की कल्पना है और इन सभी को देखने की कई दृष्टि भी हैं। पुस्तक को कहानी साहित्य क
इस पुस्तक में भारत का इतिहास सम्मिलित है, इसमें वर्तमान के तथ्य भरे हुए हैं, इसमें भविष्य के भारत की कल्पना है और इन सभी को देखने की कई दृष्टि भी हैं। पुस्तक को कहानी साहित्य कहने के पश्चात भी यह पुस्तक कई विषयों पर मौलिक चर्चा करती हुई तथा नए सिद्धांत प्रस्तुत करती हुई अवश्य दिखाई देगी, कुछ नए गढ़े हुए शब्द भी दिख सकते हैं लेकिन यह अपने उद्देश्य में स्पष्ट है।
यह पुस्तक भारत के दिशा हीन और उद्देश्य हीन समाज के लिए लिखी गई है ताकि भारतीय संस्कृति में विश्वास रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति भारत के भविष्य के लिए अपनी चेतना में कुछ उद्देश्य रखकर कार्य कर सके। इसलिए इस पुस्तक का स्थान किसी बहुत बड़े इतिहासकार या बुद्धिजीवी के पुस्तकालय में नहीं है। इसका स्थान भारत के सामान्य जन के हाथों में है। मैं इस पुस्तक को भारत की संस्कृति में विश्वास रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति तक नहीं पहुंचा सकता हूं इसलिए इसके संदेश को भारत के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचने का दायित्व भी पाठकों को लेना होगा।
यह पुस्तक लोकतंत्र की खोज संसद भवन या नेताओं की रैली में नहीं करती है। यह पुस्तक लोकतन्त्र की खोज करती है चाय की चर्चाओं में, रेल के डिब्बों में, शयनकक्ष में, परिवार के निर्णयों
यह पुस्तक लोकतंत्र की खोज संसद भवन या नेताओं की रैली में नहीं करती है। यह पुस्तक लोकतन्त्र की खोज करती है चाय की चर्चाओं में, रेल के डिब्बों में, शयनकक्ष में, परिवार के निर्णयों में, प्रेमियों की चर्चाओं में, प्र्कृती के साथ सम्बन्धों में, ईश्वर की भक्ति में और जिहाद के नारों के बीच में। यह पुस्तक लोकतन्त्र को राजनीतिक आले से निकालकर धरातल पर बिछाने का प्रयास करती है।
कोई कहे की प्रेम नहीं छिछोरापन है, कोई कहे प्रेम नहीं वासना है, कोई कहे प्रेम तो वतन से करो, कोई कहे मां बाप से करो, कोई कहे शादी के बाद करो ,कोई कहे धोखा है, कोई
कोई कहे की प्रेम नहीं छिछोरापन है, कोई कहे प्रेम नहीं वासना है, कोई कहे प्रेम तो वतन से करो, कोई कहे मां बाप से करो, कोई कहे शादी के बाद करो ,कोई कहे धोखा है, कोई कहे सत्य है, कोई कहे ईश्वरीय अनुभूति है, कोई कहता है कि 'प्यार दोस्ती है' कोई कहे 'केमिकल लोचा' तो कोई मानसिक बीमारी भी मानता है। इस पुस्तक में भी आपको इसके अलग अलग रूप अलग अलग कोण से देखने को मिलेंगे ,कुछ को देखने के लिए शायद कई कोण एक साथ बनाने पड़ें, या फिर सही और गलत का निश्चय करना कठिन हो जाए। प्रेम की समझ आयु और अनुभव के अनुसार बदलती रहती है। प्लूटॉनिक, कैमिकल, उपयोगितावादी, रहस्यवादी, अधिकारवादी, समझौतावादी में से प्रेम के जिस भी रूप को आप आदर्श मानें लेकिन इन सब रूप का सामना कभी ना कभी हो ही जाता है।
माँ के प्रति भावनाएं व्यक्त करते हुए शब्द समाप्त हो जाते हैं, विशेषण समाप्त हो जाते हैं, प्रतिमान पुराने लगने लगते हैं और एक विवशता कि स्थिति उत्पन्न हो जाती है जहां व्यक्त बहु
माँ के प्रति भावनाएं व्यक्त करते हुए शब्द समाप्त हो जाते हैं, विशेषण समाप्त हो जाते हैं, प्रतिमान पुराने लगने लगते हैं और एक विवशता कि स्थिति उत्पन्न हो जाती है जहां व्यक्त बहुत कुछ करना होता है पर व्यक्त करने के सभी माध्यम समाप्त हो चुके होते हैं। माँ खुद एक अपरिमित संसार है भावनाओं का और इस पुस्तक के माध्यम से मैंने उस त्याग को वैचारिक अभिव्यक्ति देने की कोशिश की है जो इस रहस्यमय संसार की नींव में गढ़ा हुआ है।
लेकिन तभी सम्पूर्ण विश्व पर एक विपदा आ पड़ी। कहा जाता है कि इस विपदा के सामने उस समय के कई शक्तिशाली साम्राज्य विवश हो गए और अपनी जनता को भाग्य के भरोसे छ
लेकिन तभी सम्पूर्ण विश्व पर एक विपदा आ पड़ी। कहा जाता है कि इस विपदा के सामने उस समय के कई शक्तिशाली साम्राज्य विवश हो गए और अपनी जनता को भाग्य के भरोसे छोड़ने को मजबूर हो गए। इस विपदा को दुनिया के सामने खड़ा करने का कार्य अत्यंत शक्तिशाली और धूर्त शासक शी जिन पिंग ने किया जो उस समय चीन के अत्यंत शक्तिशाली और समृद्ध साम्राज्य का शासक हुआ करता था।
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