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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
एक ‘हाँ या ना’ कितना कुछ तय कर सकता है ये कहानी इसी पर आधारित है! हालांकि भविष्य में क्या होगा ये हम पहले पता नहीं कर सकते और हम अपनी वर्त्तमान की मौजूदा स्थिति के अनुसार ही निर्
एक ‘हाँ या ना’ कितना कुछ तय कर सकता है ये कहानी इसी पर आधारित है! हालांकि भविष्य में क्या होगा ये हम पहले पता नहीं कर सकते और हम अपनी वर्त्तमान की मौजूदा स्थिति के अनुसार ही निर्णय लेते है जो पुर्णतः सही है मगर कई बार हमारे निर्णय लेने के बाद भविष्य या उस निर्णय से चंद पल बाद ही अगर कुछ गलत हो जाता है तो हम अपने निर्णय को गलत पाते है! किताब में दो अलग-अलग कहानियां है! पहली कहानी की मुख्य पात्र नुक्ता है और इस कहानी को लेखक द्वारा वर्तमान काल में लिखने की कोशिश की गई ताकि पाठक कहानी को पढ़ते हुए उसमें खो सके! दूसरी कहानी का मुख्य पात्र हरी है! जिसमें आज की दौड़ भाग भरी ज़िन्दगी से अलग एक ज़िन्दगी को बताने की कोशिश की गई है और हरी की कहानी एक सच्ची घटना है! भलें ही दोनों कहानियों का अंत बॉलीवुड की कहानियों की तरह नहीं है मगर हर कहानी का एक सफ़र होता है जो इन दोनों कहानियों में पाठक अनुभव कर सकते है!
यह किताब जिसका शीर्षक 'वैगटेल' (wagtail) है, यह कमलेश सेपियन्स द्वारा लिखित स्वरचित रचनाओं का संग्रहण है जिसमे लगभग ३५ मुख्य रचनाए तथा अनेक लघु रचनायें व पंक्तिया है | किताब का शीर्षक ए
यह किताब जिसका शीर्षक 'वैगटेल' (wagtail) है, यह कमलेश सेपियन्स द्वारा लिखित स्वरचित रचनाओं का संग्रहण है जिसमे लगभग ३५ मुख्य रचनाए तथा अनेक लघु रचनायें व पंक्तिया है | किताब का शीर्षक एक पक्षी समूह के पक्षी: white wagtail (Motacilla alba) नाम पर दिया गया है क्योंकि मैंने पहली कविता इसी पक्षी की सुन्दरता के वर्णन में लिखी थी जिसके बाद लेखन में रूचि जागृत हुई जिसका परिणाम है की आज में यह किताब लिख सका | इस किताब में अनेकों प्रकार की रचनाए है जिसमे से मुख्य निम्नलिखित है : मैं ही तो हूँ, सफ़र का मुसाफ़िर, इंसानियत तुम्हारी सोती क्यों है? आखिर ये भी तो एक प्रजाति है, इश्क, ख़त, क्यूँ आज़माइश है ?, वो भूत था, आज नहीं तो कल मिलेंगे, मन क्या नहीं है, अर्जमंद खेजड़ी, अभी रोको ना, तो फिर ढूढोगे, माई, आसूदाह ये मन, जमाने की अगलात, इब्तिदा ये नया अफ़साना होगा, एक किस्सा, मैं, मेरा, मुझसे.., मैं और मेरा वक्त, बुलंद हूँ, धरती, कोशिश, तुम उजाड़ो, सुबह मैं सोया था, एक किरदार , पहिये-सी जिदगी, कई मुखड़े, खुदको जगाया है, भीतर खौलूं, भीतर खेलूं, बहार ही आज़ाद कर दी मैंने, हम महान है, तुम ख़ुदी हो तथा प्रिय रुझानी ! किताब के अंत में शब्दबोध दिया है जिसमे शब्दों की सूची है जिनका अर्थ वर्णित है साथ ही अनेकों चित्र है और कुछ आइकॉन भी | किताब की भाषा हिंदी है एवं उर्दू, अरबी, अंग्रेजी के बहुत से शब्द इस्तेमाल किये गए है |
तू इश्क है रंग गुलाल सा, तू इश्क है ठंडी छाँव सा, तू इश्क है दरिया में नाव सा, तू इश्क है….. तू इश्क है वो ही, जहाँ शब्द भ Read More...
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