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'WAGTAIL' / 'वैगटेल'

Author Name: Kamlesh Sapiens | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

यह किताब जिसका शीर्षक 'वैगटेल' (wagtail) है, यह कमलेश सेपियन्स द्वारा लिखित स्वरचित रचनाओं का संग्रहण है जिसमे लगभग ३५ मुख्य रचनाए तथा अनेक लघु रचनायें व पंक्तिया है | किताब का शीर्षक एक पक्षी समूह के पक्षी: white wagtail (Motacilla alba) नाम पर दिया गया है क्योंकि मैंने पहली कविता इसी पक्षी की सुन्दरता के वर्णन में लिखी थी जिसके बाद लेखन में रूचि जागृत हुई जिसका परिणाम है की आज में यह किताब लिख सका | इस किताब में अनेकों प्रकार की रचनाए है जिसमे से मुख्य निम्नलिखित है : मैं ही तो हूँ, सफ़र का मुसाफ़िर, इंसानियत तुम्हारी सोती क्यों है? आखिर ये भी तो एक प्रजाति है, इश्क, ख़त, क्यूँ आज़माइश है ?, वो भूत था, आज नहीं तो कल मिलेंगे, मन क्या नहीं है, अर्जमंद खेजड़ी, अभी रोको ना, तो फिर ढूढोगे, माई, आसूदाह ये मन, जमाने की अगलात, इब्तिदा ये नया अफ़साना होगा, एक किस्सा, मैं, मेरा, मुझसे.., मैं और मेरा वक्त, बुलंद हूँ, धरती, कोशिश, तुम उजाड़ो, सुबह मैं सोया था, एक किरदार , पहिये-सी जिदगी, कई मुखड़े, खुदको जगाया है, भीतर खौलूं, भीतर खेलूं, बहार ही आज़ाद कर दी मैंने, हम महान है, तुम ख़ुदी हो तथा प्रिय रुझानी ! किताब के अंत में शब्दबोध दिया है जिसमे शब्दों की सूची है जिनका अर्थ वर्णित है साथ ही अनेकों चित्र है और कुछ आइकॉन भी | किताब की भाषा हिंदी है एवं उर्दू, अरबी, अंग्रेजी के बहुत से शब्द इस्तेमाल किये गए है |

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कमलेश सेपियन्स

कमलेश सेपियन्स, एक विद्यार्थी है जो राजस्थान के निवासी है | लेखन में रूचि जागृत होने के बाद से कई कविताये लिखी जिसका एक संग्रहण यह किताब है | तथा किताब की पहली कविता "मैं ही तो हूँ" इनके बारे में विस्तृत है |

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