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Rekha

Writer
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रेखा परिचय मैं मनोविज्ञान में पीएचडी, एचआर में पीजीडीएम, बच्चों की मनोवैज्ञानिक काउंसिलर और एक लेखिका हूँ। मुझे नर्सरी से एमबीए तक के छात्रों को पढ़ाने और उनके साथ समय बिताने का सुअवसर मिला है। नन्हें बच्चों से ले कर स्नातकोत्तरRead More...


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कुछ ल़फ़्ज़ कुछ ख़्याल

Books by रेखा

रूह की गहराइयों में दबी-छुपी ख़ूबसूरत बातों को अगर महसूस किया जाये। तब इन्हें काग़ज़ पर उतारने में ज़्यादा लफ़्ज़ों और अल्फ़ाज़ों की ज़रूरत नहीं होती।

छोटे और प्रभावशाली उद

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रूहानियत

Books by रेखा

रूह की गहराइयों में दबी-छुपी ख़ूबसूरत बातों को अगर महसूस किया जाये। तब इन्हें काग़ज़ पर उतारने में ज़्यादा लफ़्ज़ों और अल्फ़ाज़ों की ज़रूरत नहीं होती।

छोटे और प्रभावशाली उ

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वंदना

Books by रेखा

यह किताब बेहद पुरानी और अनमोल आध्यात्मिक कविताओं का संग्रह है। जिसे बुद्ध और महावीर के उपदेश की प्राचीन भाषा मगही में लिखी गई है। जो मौर्यकाल के स्वर्णिम इतिहास की भाषा है। 

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इश्क़ और इबादत

Books by रेखा रानी

यह एक मोटिवेशनल  किताब है। जो जिंदगी में हौसला  और हिम्मत देती हैं। 

हम सबों के जीवन में अक्सर अंधकारमय पल आतें हैं। कभी ऐसा वक्त आता है, जब हमारा दिल टूटा होता है। जब हमारी

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चाँदनी और साल्मन मछली

Books by रेखा

बच्चों को मनोवैज्ञानिक तरीके से सरलता से बहुत कुछ सिखाया और समझाया जा सकता है।  इसके लिए बाल मन को समझना जरूरी है। बच्चे फैंटेसी, कल्पना की दुनिया, पशु-पक्षियों, परियों, काल्पनि

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गालों पर एक तिल

Books by रेखा

यह एक रोमांटिक उपन्यास है। यह  कहानी   इसकी चुलबुली नायिका के इर्द-गिर्द घूमती है।  जिसे आस-पास हो रहे गलत बातों से बड़ी शिकायत है।  एक गलतफहमी की वजह से  उसकी मुलाकात उपन्

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ज़िन्दगी के रंग

Books by रेखा

कभी ज़ेहन में ख्याल आता था लिखना बहुत आसान है। बस चाहिये काग़ज़, क़लम, एक दिल, दिमाग़ और कुछ लफ़्ज़, बस लिखने का सिलसिला चल निकलता है। लेकिन जब लेखनी हाथों में लिया, तब समझ आया, कल्प

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ज़िंदगी के रंग

Books by रेखा

कभी ज़ेहन में ख्याल आता था लिखना बहुत आसान है। बस चाहिये काग़ज़, क़लम, एक दिल, दिमाग़ और कुछ लफ़्ज़, बस लिखने का सिलसिला चल निकलता है। लेकिन जब लेखनी हाथों में लिया, तब समझ आया लफ़्ज

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सब ठीक हो जाएगा

By Rekha in Autobiography | Reads: 2,820 | Likes: 282

सब ठीक हो जाएगा   बात बरसों पुरानी है। यह एक छोटे, जीवंत शहर धनबाद की कहानी है। एक दिन की बात है। शायद फरवरी का आखि  Read More...

Published on Jun 12,2022 02:16 PM

निद्रा मग्न राजकन्या का प्यार

By Rekha in Poetry | Reads: 106 | Likes: 0

       मैं ने भी प्यार किया, सुमित्रा पुत्र लक्ष्मण से। मैं जनक नन्दिनी थी, पर नहीं कहलाई जानकी।  ना कहा  किसी ने मिथील  Read More...

Published on Feb 18,2021 01:58 PM

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