"कृष्ण" किसी परिचय के मोहताज नहीं है। यह किताब सरल शब्दों में कान्हा के जीवन के बारे में बताती है।
यह बच्चों की किताब है। जो हिन्दी में लिखी गई है। इसमें कृष्ण के चमत्कार, उनकी
The contemporary Indian women are caught between the traditional past and a modern future inspired by their own dreams and aspirations
The present study is focusing on the life of educated married employed and unemployed women It is an attempt of throwing light on the educated, married women's changing position in the society with special attention on a few psychological variable such as self-concept, sex role and marital adjustment.
रूह की गहराइयों में दबी-छुपी ख़ूबसूरत बातों को अगर महसूस किया जाये। तब इन्हें काग़ज़ पर उतारने में ज़्यादा लफ़्ज़ों और अल्फ़ाज़ों की ज़रूरत नहीं होती।
छोटे और प्रभावशाली उद
रूह की गहराइयों में दबी-छुपी ख़ूबसूरत बातों को अगर महसूस किया जाये। तब इन्हें काग़ज़ पर उतारने में ज़्यादा लफ़्ज़ों और अल्फ़ाज़ों की ज़रूरत नहीं होती।
छोटे और प्रभावशाली उ
यह किताब बेहद पुरानी और अनमोल आध्यात्मिक कविताओं का संग्रह है। जिसे बुद्ध और महावीर के उपदेश की प्राचीन भाषा मगही में लिखी गई है। जो मौर्यकाल के स्वर्णिम इतिहास की भाषा है।
यह एक मोटिवेशनल किताब है। जो जिंदगी में हौसला और हिम्मत देती हैं।
हम सबों के जीवन में अक्सर अंधकारमय पल आतें हैं। कभी ऐसा वक्त आता है, जब हमारा दिल टूटा होता है। जब हमारी
बच्चों को मनोवैज्ञानिक तरीके से सरलता से बहुत कुछ सिखाया और समझाया जा सकता है। इसके लिए बाल मन को समझना जरूरी है। बच्चे फैंटेसी, कल्पना की दुनिया, पशु-पक्षियों, परियों, काल्पनि
यह एक रोमांटिक उपन्यास है। यह कहानी इसकी चुलबुली नायिका के इर्द-गिर्द घूमती है। जिसे आस-पास हो रहे गलत बातों से बड़ी शिकायत है। एक गलतफहमी की वजह से उसकी मुलाकात उपन्
कभी ज़ेहन में ख्याल आता था लिखना बहुत आसान है। बस चाहिये काग़ज़, क़लम, एक दिल, दिमाग़ और कुछ लफ़्ज़, बस लिखने का सिलसिला चल निकलता है। लेकिन जब लेखनी हाथों में लिया, तब समझ आया, कल्प
कभी ज़ेहन में ख्याल आता था लिखना बहुत आसान है। बस चाहिये काग़ज़, क़लम, एक दिल, दिमाग़ और कुछ लफ़्ज़, बस लिखने का सिलसिला चल निकलता है। लेकिन जब लेखनी हाथों में लिया, तब समझ आया लफ़्ज
सब ठीक हो जाएगा बात बरसों पुरानी है। यह एक छोटे, जीवंत शहर धनबाद की कहानी है। एक दिन की बात है। शायद फरवरी का आखि Read More...
मैं ने भी प्यार किया, सुमित्रा पुत्र लक्ष्मण से। मैं जनक नन्दिनी थी, पर नहीं कहलाई जानकी। ना कहा किसी ने मिथील Read More...