Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
पांच कवयित्रियों- डॉ. विजया सिन्हा, डॉ. उर्मिला त्रिपाठी, सुश्री पूर्वी कुमार, सुश्री अंजली श्रीवास्तव और डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव 'प्रयागी' ने मिलकर ज़िंदगी की हर पहेली को सहेली बना
पांच कवयित्रियों- डॉ. विजया सिन्हा, डॉ. उर्मिला त्रिपाठी, सुश्री पूर्वी कुमार, सुश्री अंजली श्रीवास्तव और डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव 'प्रयागी' ने मिलकर ज़िंदगी की हर पहेली को सहेली बनाने की कथाओं और व्यथाओं को कविताओं में ऐसे पिरोया है, गोया आंधियों में सैकड़ों चराग़ एक साथ जल रहें हों। खुद, खुदी और खुदाई की तलाश में निकला ये ऐसा ताना-बाना है, जिसके पन्ने पलटने मात्र से पैसे वसूल हो जाते हैं। इस कविता-संगम में पाठक पहली छलांग में ही डूब जाएँगे और फिर कभी उबरना नहीं चाहेंगे। मच्छर के दाँतों के बीच से हाथी निकालने का इन कविताओं का जादू भाग-दौड़ में व्यस्त हमारे मन को इतनी फुरसत देता है कि वो भुजा हो जाए और हम उसे फैलाकर खुद को अपने आलिंगन में भर लें!
'कहे अनकहे' डॉ अनुपमा श्रीवास्तव द्वारा लिखित कहानी संग्रह है। जीवन बड़ी-बड़ी योजनाओ से नहीं बल्कि छोटे-छोटे अनुभवो से बनता है। ये छोटे-छोटे अनुभव नींव की ईंट जैसे होते है, जो दिखते
'कहे अनकहे' डॉ अनुपमा श्रीवास्तव द्वारा लिखित कहानी संग्रह है। जीवन बड़ी-बड़ी योजनाओ से नहीं बल्कि छोटे-छोटे अनुभवो से बनता है। ये छोटे-छोटे अनुभव नींव की ईंट जैसे होते है, जो दिखते तो नहीं, पर जीवन रुपी इमारत की मजबूती उन्ही पर आधारित होती है। इसीलिए किसी विशेष पल के इंतज़ार से अच्छा है कि हर पल को हम विशेष बना ले। एक बार खुल कर हंसने से अच्छा है कि हर पल हम मुस्कुरा ले, ज़िंदगी मिलती बस एक बार है तो क्यों न इसे हम यादगार बना ले। जिस प्रकार छोटी-छोटी बूंदो से विशालकाय समुद्र बनता है, वैसे ही अनुभव जीवन को दृढ़ता प्रदान करते है, इसे सरस और सरल बनाते है। अच्छे अनुभवों के लिए हमे अच्छी सोच और सही नजरिया चाहिए, क्योकि दृश्य तो अक्सर एक ही होते है, बस उन्हें देखने का नजरिया ही अलग होता है। 'कहे अनकहे' अच्छी सोच और सही नजरिये को प्रोत्साहित करता है जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ सके।
College Time I asked her to be mine she denied I asked her to marry me she refused I asked her to be friend of mine she disliked the idea. After College now i am IAS; her father approaches me regularly she sends friend request on social-sites now Read More...
रिया राघव से गुस्सा होकर अपने भाई के घर आ गई थी, उसे राघव का नजरिया बिल्कुल भी पसंद नही था, "इतना जेंडर-डिस्क्रिमिनेश Read More...
"नहीं ये गलत है, हमे इसे लॉस्ट एंड फाउंड डिपार्टमेंट में जमा कर देना चाहिए।" डरते हुए नेहा ने स्वाती से कहा। "तू पाग Read More...
Are you sure you want to close this?
You might lose all unsaved changes.
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.