Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
यह पुस्तक लेखक द्वारा जगह-जगह प्रस्तुत किए गए एवं प्रकाशित शोध आलेखों का संकलन है। विविध प्रकृति के इन आलेखों में समकालीनता और युगबोध सर्वत्र परिलक्षित है। आलेखों को किसी क्रम
यह पुस्तक लेखक द्वारा जगह-जगह प्रस्तुत किए गए एवं प्रकाशित शोध आलेखों का संकलन है। विविध प्रकृति के इन आलेखों में समकालीनता और युगबोध सर्वत्र परिलक्षित है। आलेखों को किसी क्रम में नहीं रखा गया, यह पाठक का विशेषाधिकार है कि वह किस लेख को कब पढ़े। आलेखों का देश काल जानने के लिए उनके प्रस्तुतीकरण या प्रकाशन का उल्लेख सम्बंधित लेख के अंत में कर दिया गया है।
यह पुस्तक विद्यार्थी जीवन में पाठ्यक्रम से भिन्न पुस्तकों में पठित एवं यत्र-तत्र सुनी गई सूक्तियों का संकलन है। बीस-पच्चीस वर्ष पूर्व से यह संकलन प्रारंभ हुआ, जहां से जो बात सुन-
यह पुस्तक विद्यार्थी जीवन में पाठ्यक्रम से भिन्न पुस्तकों में पठित एवं यत्र-तत्र सुनी गई सूक्तियों का संकलन है। बीस-पच्चीस वर्ष पूर्व से यह संकलन प्रारंभ हुआ, जहां से जो बात सुन-पढ़कर अच्छी लगी, उसे एक डायरी में लिखता गया। पूज्य पिताजी भी अपना संकलन इस प्रकार करते थे, उन्हीं से प्रेरित होकर लिखता गया। कालप्रवाह में इनमें से कुछ अंश ग़ायब हुए, जुड़ते भी रहे। इसमें मेरा कुछ नहीं है, यह कवियों और मनीषियों की रचनाओं के अंश हैं। उनका यथास्थान उल्लेख किया गया है, किंतु जहां कहीं ज्ञात नहीं हो पाया, वह अंश बिना उल्लेख के भी दे दिया है। अतः सर्वप्रथम उन विद्वानों से क्षमा चाहते हुए व्यक्तिगत स्मृति के लिए लिखे इन अंशों को सार्वजनिक कर रहा हूं। दिए गए अंशांे से मेरा सहमत होना अनिवार्य नहीं है, बल्कि कई बातों से असहमति ही है। यहां देने का उद्देश्य यही है कि और लोगों के समान ऐसी चीजें मेरे द्वारा पढ़ी या सुनी गई हैं। यह कहना भी आवश्यक है कि इतना मात्र ही नहीं पढ़ा गया, लेकिन जो पढ़ा, उसे गुना अवश्य है। स्वाभाविक रूप से समय के साथ-साथ उसमें विचारगत योग होता गया।
मुझे लगता है कि किसी को भी आत्मकथा लिखने की बजाय जो उसने पढ़ा-सुना, लिखा-किया; उसका ब्यौरेवार वर्णन पाठकों को यदि दिया जाता है तो पाठक स्वयं आत्मकथाकार के व्यक्तित्व को समझ सकेगा।
सावधान! बृद्धावस्था ही सुख दुख की पहिचान है।
जो सचेत करता है सबको वही जरा विज्ञान है।।
देव पितर होकर प्रसन्न देते अनेक वरदान हैं।
घर है स्वर्ग वही जिस घर में बूढ़ो का सम्मान ह
सावधान! बृद्धावस्था ही सुख दुख की पहिचान है।
जो सचेत करता है सबको वही जरा विज्ञान है।।
देव पितर होकर प्रसन्न देते अनेक वरदान हैं।
घर है स्वर्ग वही जिस घर में बूढ़ो का सम्मान है।
जरा बोध दाता ऋगवेदी जराबोध ऋषि बूढ़ा है।
सदियों ने बस समाधान हित बूढ़े को ही ढूँढ़ा है।।
कुछ कहते हैं यह मेरा है कुछ कहते यह तेरा है।
जो कुछ है उस प्रभु का है ना तेरा है न मेरा है।।
मिला मुझे वह हैै मेरा जो तुझे मिला वह तेरा है।।
अगर जरूरत पडे तुझे तो मेरा भी यह तेरा है।
जिन परिवारों में मानवता है वहाँ समझलो बूढ़ा है।
सदियों ने बस समाधान हित बूढ़े को ही ढूँढ़ा है।।
व्यक्ति नामो पर कितनी तरह से अध्ययन किया जा सकता है. इस पुस्तक में उसकी दिशाएं दिखेगी. जब तक सृष्टि है नाम और उसे धारण करने वाले नामी अवश्य रहेंगे. नाम और नामी का क्या सम्बन्ध है, यह
व्यक्ति नामो पर कितनी तरह से अध्ययन किया जा सकता है. इस पुस्तक में उसकी दिशाएं दिखेगी. जब तक सृष्टि है नाम और उसे धारण करने वाले नामी अवश्य रहेंगे. नाम और नामी का क्या सम्बन्ध है, यह समझना हम सबके जीवन का पाथेय है, क्या हम इस रास्ते पर बढ़ेंगे. यह बहुत उर्वर और विशाल विषय है.
Are you sure you want to close this?
You might lose all unsaved changes.
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.