Manoj Garg

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साँस

Books by मनोज गर्ग

कुछ एक पुर्ज़े तो सबके ढ़ीले होते हैं... इन्ही ढ़ीले पुर्ज़ों का शोर इंसान को ज़िन्दगी जीने का असल मक़सद देता है... मुझे भी हर आती साँस मैं  ये शोर सुनाई देता है... कभी सुर्ख तो कभी सब्ज़.. तो क

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