Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
दिव्य एक चित्रकार है। दो मिनट में किसी की भी तस्वीर वह कैनवास पर उतार सकता है। लेकिन, आकृति की तस्वीर वह जब जब बनाता है तब तब उसकी तस्वीर कैनवास पर बनकर भी गायब हो जाती है। लंदन से भ
दिव्य एक चित्रकार है। दो मिनट में किसी की भी तस्वीर वह कैनवास पर उतार सकता है। लेकिन, आकृति की तस्वीर वह जब जब बनाता है तब तब उसकी तस्वीर कैनवास पर बनकर भी गायब हो जाती है। लंदन से भारत आते ही एनसीबी उसे पकड़कर हज़ारों करोड़ रुपयों की हेरोइन के बारे में पूछताछ करती है। साथ ही पांच आदमियों की भी, जिसके बारे में उसे नहीं पता।
'नगरी गांव' के पास जंगल में कुछ अजीबोगरीब घटनाएं घटती हैं। लोगों की रिपोर्ट है कि जंगल में प्रवेश करने पर बहुत से लोग लापता हो जाते हैं। ये लोग कुछ महीनों से लेकर कई वर्षों के लंबे
'नगरी गांव' के पास जंगल में कुछ अजीबोगरीब घटनाएं घटती हैं। लोगों की रिपोर्ट है कि जंगल में प्रवेश करने पर बहुत से लोग लापता हो जाते हैं। ये लोग कुछ महीनों से लेकर कई वर्षों के लंबे अंतराल के बाद लौटते हैं, लेकिन जंगल में क्या हुआ, इसकी कोई याद उन्हें नहीं आती। ग्रामीणों ने मामले की जांच के लिए पुलिस को इसकी सूचना दी। लोगों को जंगल में प्रवेश करने से दूर रखने के लिए एक इंस्पेक्टर को गांव भेजा जाता है। इंस्पेक्टर, अपनी यात्रा में कई घटनाएं देखता है जो उसे जंगल के बारे में जांच शुरू करने के लिए मजबूर करती हैं। इंस्पेक्टर को जो पता चला वह वाकई हैरान करने वाला है...
Rukmini, unknowingly sketches the portrait of Anand Sagar who is identified by Meera as Professor Aprajit. When Rukmini joins Shimla Women’s College as a professor, she is misunderstood as Radha by the Principal of the college and few other people. And then, the search for Radha and Anand begins…..
Rukmini, unknowingly sketches the portrait of Anand Sagar who is identified by Meera as Professor Aprajit. When Rukmini joins Shimla Women’s College as a professor, she is misunderstood as Radha by the Principal of the college and few other people. And then, the search for Radha and Anand begins…..
जापान के सिकियांग में आये सूनामी और उत्तर प्रदेश के बेलवाड़ा में हुई ट्रेन दुर्घटना से रेयांश सकते में आ जाता है। टीवी पर दोनों घटनाओं के दृश्य को देखकर रेयांश को महसूस होता है कि
जापान के सिकियांग में आये सूनामी और उत्तर प्रदेश के बेलवाड़ा में हुई ट्रेन दुर्घटना से रेयांश सकते में आ जाता है। टीवी पर दोनों घटनाओं के दृश्य को देखकर रेयांश को महसूस होता है कि ये सब दृश्य वह पहले भी देख चुका है। इन सब दृश्यों को उसने कब और कहां देखा है ये उसकी समझ में नहीं आता है। एक दिन जब वह परीक्षा हॉल में परीक्षा दे रहा होता है तब उसे ये लगता है कि दिए गए प्रश्न पत्र को वह पहले भी देख चुका है। यही नहीं परीक्षा हॉल में जैसा दृश्य है, उस दृश्य से वह पहले भी रूबरू हो चुका है। पर कहां और कैसे ये सवाल फिर उसके लिए एक पहेली बन कर रह जाता है। और, जब इन सब पर से पर्दा हटता है तब …
आर्मी इंटेलिजेंस को ख़बर मिलती है कि इंडो पाक बॉर्डर पर टेररिस्ट कैंप चलाये जा रहे हैं। जिसे ध्वस्त करने के लिए इंडियन आर्मी एक स्पेशल फ़ोर्स का गठन करती है। जिसमें २५ बेहतरीन ज
आर्मी इंटेलिजेंस को ख़बर मिलती है कि इंडो पाक बॉर्डर पर टेररिस्ट कैंप चलाये जा रहे हैं। जिसे ध्वस्त करने के लिए इंडियन आर्मी एक स्पेशल फ़ोर्स का गठन करती है। जिसमें २५ बेहतरीन जवानों को शमिल किया जाता है। इस मिशन को पूरा करने के लिए स्पेशल फ़ोर्स एक ख़ुफिया रास्ते का सहारा लेती है। फ़ोर्स कैंप को तबाह करने के बाद लापता हो जाती है। जिसकी तलाश में कर्नल अमर प्रताप निकलते हैं।
चीन के वुहान में एक डॉक्टर की हत्या कर दी गयी है। इस ख़बर से भारतीय गुप्तचर एजेंसी ‘रॉस’ के कान खड़े हो जाते हैं। एजेंसी इसलिए चौकन्ना हो जाती है। क्योंकि इस मामले में किसी अन्य
चीन के वुहान में एक डॉक्टर की हत्या कर दी गयी है। इस ख़बर से भारतीय गुप्तचर एजेंसी ‘रॉस’ के कान खड़े हो जाते हैं। एजेंसी इसलिए चौकन्ना हो जाती है। क्योंकि इस मामले में किसी अन्य देश के स्पाई की भूमिका सामने आती है। रॉस एजेंट वॉरियर वुहान जाता है। मामले की तहक़ीक़ात करने पर उसे एक बहुत बड़ी साज़िश का पता चलता है।
जंगल में बने रेस्ट हाउस से एक वरिष्ठ अधिकारी की पत्नी लापता हो जाती है। उसकी ख़ोज में फॉरेस्ट अधिकारी हर्ष लग जाता है। पर उसे निराशा ही हाथ लगती है। यह केस वह अपने मित्र सिद्धार्थ
जंगल में बने रेस्ट हाउस से एक वरिष्ठ अधिकारी की पत्नी लापता हो जाती है। उसकी ख़ोज में फॉरेस्ट अधिकारी हर्ष लग जाता है। पर उसे निराशा ही हाथ लगती है। यह केस वह अपने मित्र सिद्धार्थ को सौंप देता है। सिद्धार्थ जब इस केस की गुत्थी सुलझाता है। तब उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
जिस समय आप पत्र पढ़ रहे होंगे, उस समय मैं एयरपोर्ट के रास्ते पर रहूंगा। मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा कि आपने जाने से पहले एक इतिहास गढ़ दिया। वो इतिहास जो हमारी आने वाली पीढ़ी न केवल पढ़ा क
जिस समय आप पत्र पढ़ रहे होंगे, उस समय मैं एयरपोर्ट के रास्ते पर रहूंगा। मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा कि आपने जाने से पहले एक इतिहास गढ़ दिया। वो इतिहास जो हमारी आने वाली पीढ़ी न केवल पढ़ा करेंगी, बल्कि उससे मार्ग प्रदर्शित भी होती रहेंगी।
दो स्टेशन मास्टर की मौत और एक का कोमा में चले जाना। और, उसके बाद के स्टेशन मास्टर का गझंडी में नहीं ठहर पाना। इन सब घटनाओं से रेलवे विभाग सकते में आ जाता है। वज़ह और उस वज़ह को हल करने
दो स्टेशन मास्टर की मौत और एक का कोमा में चले जाना। और, उसके बाद के स्टेशन मास्टर का गझंडी में नहीं ठहर पाना। इन सब घटनाओं से रेलवे विभाग सकते में आ जाता है। वज़ह और उस वज़ह को हल करने की ज़िम्मेवारी विभाग के आईओ सोम को दी जाती है।
बिज़नेसमैन मनीष कुमार ने आत्महत्या की है, या उसकी हत्या हुई है। इसकी ज़ांच करने की ज़िम्मेदारी क्राइम ब्रांच के डीसीपी शौर्य श्रेष्ठ को दी जाती है। ज़ांच के दरम्यान उसे लगता है कि मन
बिज़नेसमैन मनीष कुमार ने आत्महत्या की है, या उसकी हत्या हुई है। इसकी ज़ांच करने की ज़िम्मेदारी क्राइम ब्रांच के डीसीपी शौर्य श्रेष्ठ को दी जाती है। ज़ांच के दरम्यान उसे लगता है कि मनीष ने आत्महत्या की है। पर, उसकी गाड़ी कुछ और ही कहानी बयां कर देती है।
महीनों बाद जब सूरज घर नहीं लौटता है। तब उसका परिवार सीबीआई के दरवाज़े पर दस्तक देता है। सीबीआई अधिकारी तथागत उसकी जानकारी इकट्ठा करने के लिए अम्बा पहुंचता है। उसके बाद सूरज की ख़ो
महीनों बाद जब सूरज घर नहीं लौटता है। तब उसका परिवार सीबीआई के दरवाज़े पर दस्तक देता है। सीबीआई अधिकारी तथागत उसकी जानकारी इकट्ठा करने के लिए अम्बा पहुंचता है। उसके बाद सूरज की ख़ोज शुरू कर देता है।
आईबी को एक कोड मिलता है। जिसे डिकोड करने की ज़िम्मेवारी आईबी अधिकारी संजय भटनागर को दी जाती है। कोड को डिकोड करने के दरम्यान संजय को जो जानकारी मिलती है, उसके मुताबिक़ दुश्मनों की
आईबी को एक कोड मिलता है। जिसे डिकोड करने की ज़िम्मेवारी आईबी अधिकारी संजय भटनागर को दी जाती है। कोड को डिकोड करने के दरम्यान संजय को जो जानकारी मिलती है, उसके मुताबिक़ दुश्मनों की योजना एक साथ कई घातक घटनाओं को अंजाम देने की है।
रात के दस बजे दरवाज़े पर दस्तक होती है। रमेश दरवाज़ा खोलता है तो सामने उसे एक महिला खड़ी दिखलाई देती है। जब वह उसका चेहरा देखता है तब वह चौंक जाता है। उसे देखकर वह सोचता है कि ये कैसे ह
रात के दस बजे दरवाज़े पर दस्तक होती है। रमेश दरवाज़ा खोलता है तो सामने उसे एक महिला खड़ी दिखलाई देती है। जब वह उसका चेहरा देखता है तब वह चौंक जाता है। उसे देखकर वह सोचता है कि ये कैसे हो सकता है, “सांझी को मरे हुए एक साल हो चुके हैं। फ़िर वो ज़िंदा कैसे हो सकती है ?”
ताप्ती अपने बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज़ कराती है। पुलिस उसके बच्चे की तलाश में जुट जाती है। ज़ांच के दरम्यान पुलिस को जानकारी होती है कि बच्चे का अपहरण किया गया है।
ताप्ती अपने बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज़ कराती है। पुलिस उसके बच्चे की तलाश में जुट जाती है। ज़ांच के दरम्यान पुलिस को जानकारी होती है कि बच्चे का अपहरण किया गया है। पुलिस उसकी बरामदगी कर पाती। उससे पहले ताप्ती गायब हो जाती है।
प्यार एक सुंदर एहसास है। जिसे केवल मसूस किया जा सकता है। उसे व्यक्त नहीं किया जा सकता। क्योंकि उसे व्यक्त करने के लिए हमारे पास उचित अल्फ़ाज़ नहीं होते। सिद्धार्थ एक किराए के मकान
प्यार एक सुंदर एहसास है। जिसे केवल मसूस किया जा सकता है। उसे व्यक्त नहीं किया जा सकता। क्योंकि उसे व्यक्त करने के लिए हमारे पास उचित अल्फ़ाज़ नहीं होते। सिद्धार्थ एक किराए के मकान में रहता है। यह मकान संजना के चाचा का है। संजना को लगता है कि सिद्धार्थ खरूस स्वभाव वाला है। पर जब वह उसके साथ घुलमिल जाती है, तब उसे सिद्धार्थ अच्छा लगने लगता है। काम के सिलसिले में सिद्धार्थ विदेश चला जाता है । एक महीने बाद जब वह वापस आता है। तब उसे पता चलता है कि संजना की शादी हो रही है। फिर ....... ?
सिद्धार्थ एक पुलिस अधिकारी है। बारामूला में आतंकवादियों से लड़ने के बाद उसकी पोस्टिंग राजनगर में कर दी जाती है। वहां एक हिंसावादी संगठन काला-दस्ता की हुकूमत चलती है। यह संगठन रं
सिद्धार्थ एक पुलिस अधिकारी है। बारामूला में आतंकवादियों से लड़ने के बाद उसकी पोस्टिंग राजनगर में कर दी जाती है। वहां एक हिंसावादी संगठन काला-दस्ता की हुकूमत चलती है। यह संगठन रंगदारी वसूल करता है और लोगों के हित में काम करने का दिखावा करता है। असल में वह लोगों में दहशत और डर फैलाता है। राजनगर का कोई भी निवासी इस संगठन की बात टालने की हिम्मत नहीं करता है। अब सिद्धार्थ के सामने चुनौती होती है काला दस्ता को ख़त्म करने की।
Are you sure you want to close this?
You might lose all unsaved changes.
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.