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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
हमने यह किताब बेटे और बेटी की बराबरी के लिए लिखा और एक नया समाज बनाने के लिए लिखा जहां पर सब बराबर हो, और समाज की जो गलत सोच है बेटियों के प्रति की बेटियां बोझ होती है उनकी ये सोच को क
हमने यह किताब बेटे और बेटी की बराबरी के लिए लिखा और एक नया समाज बनाने के लिए लिखा जहां पर सब बराबर हो, और समाज की जो गलत सोच है बेटियों के प्रति की बेटियां बोझ होती है उनकी ये सोच को कत्ल करने के लिए लिखा है और जहां पर सब बराबर है उन्हें ऐसी दुनिया दिखाएं बेटियों के साथ बेटों को भी सिखाए जब ये सीख नई नस्ल बनेगी, तब बेटों की फौज बेटियों के लिए खड़ी होगी, तब ना कोई किसी के चेहरे पर तेजाब डालेगा, तब ना कोई किसी की बेटी को गलत नजरों से देखेगा, तब हर नारी बहन समान होगी, तब हर औरत देवी का रूप होगी, तब बेटियां अपने सपनों को बुन पाएगी , तब बेटियां अपने हौसलों को बुलंद कर पाएगी, तब बेटियां छू पाएगी आसमां! तब बेटियां रह पाएगी सुरक्षित जब बेटे रहेंगे बेटियों की ढाल बनकर तब हर बेटी बनेगी मिसाल
इस किताब से हमारा संदेश देना बस यही है की बेटियों को समाज के सामने खुलकर जीने का अधिकार है और उन्हें अपने हुनर से ऊंचाइयों को छूने का हक है|
इस किताब में हमने एक पिता और बेटी के गहरे संबंध को जिक्र किया है एक बेटी के लिए उसका पिता दुनिया में सबसे अनमोल होता है इसे हमने कविता के माध्यम से समझाना चाहा है|
इस किताब से हमने उन लोगों का हौसला बढ़ाना चाहा जो कुछ सपने टूट जाने के बाद टूट कर बिखर से जाते हैं, उन्हें हम कविता के माध्यम से अपने जीवन में आगे चलते रहने की प्रेरणा देना चाहते हैं|
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