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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
प्रस्तुत पुस्तक के अंतर्गत लेखक-लेखिकाओं द्वारा शोध आलेख प्रेषित करते हुए नारी जीवन को रूपायित करने का सराहनीय कार्य किया गया है। इन आलेखों के माध्यम से लेखक-लेखिकाओं द्वारा न
प्रस्तुत पुस्तक के अंतर्गत लेखक-लेखिकाओं द्वारा शोध आलेख प्रेषित करते हुए नारी जीवन को रूपायित करने का सराहनीय कार्य किया गया है। इन आलेखों के माध्यम से लेखक-लेखिकाओं द्वारा न केवल नारी जीवन बल्कि नारी जीवन की समस्याएँ, नारी शोषण, आधुनिक समाज और नारी के रूप में नारी के स्थान को उद्घाटित करते हुए न केवल पाठक वर्ग का अपितु सरकार का ध्यान नारी समस्याओं की ओर आकर्षित करने का प्रयास किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक के अंतर्गत संपूर्ण देश के विद्वानो द्वारा लिखित आलेख समाहित हैl यह पुस्तक हिंदी साहित्य में अभिव्यक्त श्रमिक एवं मजदूर वर्ग का तात्पर्य,उनकी भूमिका औ
प्रस्तुत पुस्तक के अंतर्गत संपूर्ण देश के विद्वानो द्वारा लिखित आलेख समाहित हैl यह पुस्तक हिंदी साहित्य में अभिव्यक्त श्रमिक एवं मजदूर वर्ग का तात्पर्य,उनकी भूमिका और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को प्रेषित करती हुई समाज के समक्ष उनकी स्थिति और समस्याओं तथा समस्याओं का समाधान प्रदर्शित करने का एक प्रयास है l
प्रस्तुत पुस्तक के अंतर्गत संपूर्ण देश के विद्वानों द्वारा लिखित आलेख समाहित हैl यह पुस्तक हिंदी साहित्य में अभिव्यक्त श्रमिक एवं मजदूर वर्ग का तात्पर्य, उनकी भूमिका और
प्रस्तुत पुस्तक के अंतर्गत संपूर्ण देश के विद्वानों द्वारा लिखित आलेख समाहित हैl यह पुस्तक हिंदी साहित्य में अभिव्यक्त श्रमिक एवं मजदूर वर्ग का तात्पर्य, उनकी भूमिका और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को प्रेषित करती हुई समाज के समक्ष उनकी स्थिति और समस्याओं तथा समस्याओं का समाधान प्रदर्शित करने का एक प्रयास है l
राजा मानसिंह 'द्विजदेव' रीतिकालीन कवियों में से प्रमुख कवि हैं. प्रस्तुत पुस्तक में कवि द्विजदेव द्वारा लिखित कविताओं में चित्रित प्रकृति चित्रण का विस्तार से वर्णन किया गया ह
राजा मानसिंह 'द्विजदेव' रीतिकालीन कवियों में से प्रमुख कवि हैं. प्रस्तुत पुस्तक में कवि द्विजदेव द्वारा लिखित कविताओं में चित्रित प्रकृति चित्रण का विस्तार से वर्णन किया गया है. पुस्तक के अंतर्गत प्रयोग किए गए पद्यांशों को उदाहरणसहित व्याख्यायित किया गया है.
प्रस्तुत संपादित पुस्तक में हिंदी साहित्य से संबंधित विविध विमर्श पर विस्तृत चर्चा की गई है. प्रस्तुत किताब के लिए भारत के विविध राज्यों के विद्वान लेखकों ने बहुमूल्य आलेख प्र
प्रस्तुत संपादित पुस्तक में हिंदी साहित्य से संबंधित विविध विमर्श पर विस्तृत चर्चा की गई है. प्रस्तुत किताब के लिए भारत के विविध राज्यों के विद्वान लेखकों ने बहुमूल्य आलेख प्रेषित किए हैं. प्रस्तुत पुस्तक हिंदी साहित्य के सभी पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी
प्रस्तुत किताब में २१वीं सदी के हिंदी साहित्य में चित्रित विविध विमर्श पर प्रकाश डाला गया है उदाहरण स्वरूप- स्त्री विमर्श, किन्नर विमर्श, आदिवासी विमर्श, दलित विमर्श आदि. प्रस्
प्रस्तुत किताब में २१वीं सदी के हिंदी साहित्य में चित्रित विविध विमर्श पर प्रकाश डाला गया है उदाहरण स्वरूप- स्त्री विमर्श, किन्नर विमर्श, आदिवासी विमर्श, दलित विमर्श आदि. प्रस्तुत किताब के लिए भारत के हरें कोने के २० लेखकों ने योगदान दिया है.
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