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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalVijay Kumar Singh was born in 1961. He is a Science graduate who is passionate about literature and poetry, especially Hindi. He also loves History and Philosophy. His published works are Shunahshep and Nachiketa (poetry), Kalyani (poetry), Nepathya Mein Goonjte Shabd (poetry collection), and Chitralekha (poetry collection). Read More...
Vijay Kumar Singh was born in 1961.
He is a Science graduate who is passionate about literature and poetry, especially Hindi. He also loves History and Philosophy.
His published works are Shunahshep and Nachiketa (poetry), Kalyani (poetry), Nepathya Mein Goonjte Shabd (poetry collection), and Chitralekha (poetry collection).
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चित्रलेखा 57 कविताओं का संग्रह है जिसमें आम जन-मानस की वेदना, पुरुष और प्रकृति, प्रेम और सौंदर्य, मादकता, समर्पण, कर्म, न्याय, शोषण, उन्माद, घमंड-अभिमान-अहंकार, निर्गुण, प्राप्तव्य, भ
चित्रलेखा 57 कविताओं का संग्रह है जिसमें आम जन-मानस की वेदना, पुरुष और प्रकृति, प्रेम और सौंदर्य, मादकता, समर्पण, कर्म, न्याय, शोषण, उन्माद, घमंड-अभिमान-अहंकार, निर्गुण, प्राप्तव्य, भवितव्य, देश-प्रेम, डर, कलुष, छल, मौन, रिश्ता, बोधत्व, प्रार्थना एवं कोमल मन के भिन्न-भिन्न भावों का चित्रण है। इस संग्रह में अष्टनायिकाओं के भिन्न-भिन्न भाव-भंगिमाओं को भी चित्रित करने का प्रयास किया गया है।
काल्पनिक कथा पर आधारित यह काव्य कल्याणी, विभ्रमित ज्ञान से क्रिया की, काम - वासना से निश्छल प्रेम की, कामना से कर्म की, वासना से  
काल्पनिक कथा पर आधारित यह काव्य कल्याणी, विभ्रमित ज्ञान से क्रिया की, काम - वासना से निश्छल प्रेम की, कामना से कर्म की, वासना से चेतना की, एवं कलुष से आनंद की यात्रा है । नायक पथिक, नायिका कल्याणी एवं छलना, तीनो पात्रों के चरित्र एवं उनके संघर्ष और चुनाव उनके जीवन की दिशा एवं सुख - दुःख का निर्धारण करते हैं । तरणी डूब जाने के पश्चात नदी की धारा में बहता पथिक जब कल्याणी से मिलता है तो उसे इस बात का कोई भान नहीं है कि उसका जीवन किस नई दिशा में मुड़ने वाला है ।
शुनःशेप कथा है भाग्य की, कर्म की, एवं करुणा की । यह कथा है एक निर्धन ऋषि पुत्र की जो अपने पिता द्वारा बेच दिया जाता है । उसकी माता तक उसकी रक्षा नहीं करती । हर तरफ से लाचार शुनःशेप
शुनःशेप कथा है भाग्य की, कर्म की, एवं करुणा की । यह कथा है एक निर्धन ऋषि पुत्र की जो अपने पिता द्वारा बेच दिया जाता है । उसकी माता तक उसकी रक्षा नहीं करती । हर तरफ से लाचार शुनःशेप अपने ज्ञान एवं कर्म का सहारा लेता है अपनी रक्षा हेतु ।
नचिकेता ज्ञान एवं पितृभक्ति की गाथा है जिसमे एक छोटा सा ज्ञानी बालक अपनी ज्ञान पिपासा से न केवल यम देव को प्रभावित कर अपनी जीवन रक्षा करता है अपितु यम से आत्म रहस्य का वो दुर्लभ ज्ञान भी प्राप्त करता है जिससे समस्त संसार वंचित था, साथ ही वह अपने पिता के यज्ञफल की रक्षा भी करता है ।
नेपथ्य में गूँजते शब्द वृतान्त है मनुष्यता की। मनुष्यता के हर पहलू को समेटे ये 46 कविताएँ, प्रेम एवं सौंदर्य की,संघर्ष एवं समर्पण की, आत्मा एवं वासना की, प्रेरणा एवं ढृढ़ निश्चय की
नेपथ्य में गूँजते शब्द वृतान्त है मनुष्यता की। मनुष्यता के हर पहलू को समेटे ये 46 कविताएँ, प्रेम एवं सौंदर्य की,संघर्ष एवं समर्पण की, आत्मा एवं वासना की, प्रेरणा एवं ढृढ़ निश्चय की सरल एवं सुन्दर व्याख्या करते हैं । वीर रस के रोर रौरव से लेकर श्रृंगार रस की शीतलता तक सारे भाव इन कविताओं के शब्दों एवं छंदों के माध्यम से मनुष्य के निरंतर संघर्ष एवं अमर प्रेम की गाथा कहते हैं । ये कविताएँ कथा हैं इस नश्वर शरीर की जिसकी अमर चेतना अनादि काल तक नेपथ्य में गूँजती रहती है ।
एक छोटा सा गाँव था। उस समय लगभग पाँच सौ घर रहे होंगे। यह 1970 के दशक का समय था। यह कहानी बिलकुल मनोरंजक है और ग्रामीण पर Read More...
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