Vijay Kumar Singh

Author and Poet
Author and Poet

Vijay Kumar Singh was born in 1961. He is a Science graduate who is passionate about literature and poetry, especially Hindi. He also loves History and Philosophy. His published works are Shunahshep and Nachiketa (poetry), Kalyani (poetry), Nepathya Mein Goonjte Shabd (poetry collection), and Chitralekha (poetry collection).  Read More...


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चित्रलेखा

Books by विजय कुमार सिंह

चित्रलेखा 57 कविताओं का संग्रह है जिसमें आम जन-मानस की वेदना, पुरुष और प्रकृति, प्रेम और सौंदर्य, मादकता, समर्पण, कर्म, न्याय, शोषण, उन्माद, घमंड-अभिमान-अहंकार, निर्गुण, प्राप्तव्य, भ

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कल्याणी

Books by विजय कुमार सिंह

काल्पनिक  कथा  पर  आधारित  यह  काव्य  कल्याणी,  विभ्रमित  ज्ञान  से  क्रिया  की,  काम - वासना  से  निश्छल  प्रेम  की,  कामना  से  कर्म  की,  वासना  से  

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शुनःशेप एवं नचिकेता

Books by विजय कुमार सिंह

शुनःशेप कथा है भाग्य की, कर्म की, एवं करुणा की । यह कथा है एक निर्धन ऋषि पुत्र की जो  अपने पिता द्वारा बेच दिया जाता है । उसकी माता तक उसकी रक्षा नहीं करती । हर तरफ से लाचार शुनःशेप

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नेपथ्य में गूँजते शब्द

Books by विजय कुमार सिंह

नेपथ्य में गूँजते शब्द वृतान्त है मनुष्यता की। मनुष्यता के हर पहलू को समेटे ये 46 कविताएँ, प्रेम एवं सौंदर्य की,संघर्ष एवं समर्पण की, आत्मा एवं वासना की, प्रेरणा एवं ढृढ़ निश्चय की

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शिकारी कौन

By Vijay Kumar Singh in Mystery | Reads: 5,855 | Likes: 6

एक छोटा सा गाँव था। उस समय लगभग पाँच सौ घर रहे होंगे। यह 1970 के दशक का समय था। यह कहानी बिलकुल मनोरंजक है और ग्रामीण पर  Read More...

Published on Jul 9,2022 11:14 PM

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