चित्रलेखा 57 कविताओं का संग्रह है जिसमें आम जन-मानस की वेदना, पुरुष और प्रकृति, प्रेम और सौंदर्य, मादकता, समर्पण, कर्म, न्याय, शोषण, उन्माद, घमंड-अभिमान-अहंकार, निर्गुण, प्राप्तव्य, भ
काल्पनिक कथा पर आधारित यह काव्य कल्याणी, विभ्रमित ज्ञान से क्रिया की, काम - वासना से निश्छल प्रेम की, कामना से कर्म की, वासना से  
शुनःशेप कथा है भाग्य की, कर्म की, एवं करुणा की । यह कथा है एक निर्धन ऋषि पुत्र की जो अपने पिता द्वारा बेच दिया जाता है । उसकी माता तक उसकी रक्षा नहीं करती । हर तरफ से लाचार शुनःशेप
नेपथ्य में गूँजते शब्द वृतान्त है मनुष्यता की। मनुष्यता के हर पहलू को समेटे ये 46 कविताएँ, प्रेम एवं सौंदर्य की,संघर्ष एवं समर्पण की, आत्मा एवं वासना की, प्रेरणा एवं ढृढ़ निश्चय की
एक छोटा सा गाँव था। उस समय लगभग पाँच सौ घर रहे होंगे। यह 1970 के दशक का समय था। यह कहानी बिलकुल मनोरंजक है और ग्रामीण पर Read More...