Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
ये किताब उन सभी अनुरागियों, माशूकाओ को समर्पित जो नैवेध की तरह अपने मुहब्बत को स्वीकार कर एक दर्पण की तरह जगत को दीदार कराते हैं
ये किताब उन सभी अनुरागियों, माशूकाओ को समर्पित जो नैवेध की तरह अपने मुहब्बत को स्वीकार कर एक दर्पण की तरह जगत को दीदार कराते हैं
I tried my best to pour each piece of knowledge related to word formation articles and deep materials etc. I hope that this book will defintely be helpful to change your life and make your life success sure.
I tried my best to pour each piece of knowledge related to word formation articles and deep materials etc. I hope that this book will defintely be helpful to change your life and make your life success sure.
I tried my best to pour each piece of knowledge related to grammar. Like alphabet , vocabulary word formation articles and deep materials etc. I hope that this book will defintely be helpful to change your life and make your life success sure.
I tried my best to pour each piece of knowledge related to grammar. Like alphabet , vocabulary word formation articles and deep materials etc. I hope that this book will defintely be helpful to change your life and make your life success sure.
हमारे देश में जातियों को लेकर कई सवाल उठते हैं हम रह तो जरूर 21वी सदी में लेकिन हमारा तन मन अभी भी जात पात में उलझा हुआ हैं कई वर्षो पूर्व छुआछूत हुआ करता था ऐसा नहीं की ये अब खत्म हो
हमारे देश में जातियों को लेकर कई सवाल उठते हैं हम रह तो जरूर 21वी सदी में लेकिन हमारा तन मन अभी भी जात पात में उलझा हुआ हैं कई वर्षो पूर्व छुआछूत हुआ करता था ऐसा नहीं की ये अब खत्म हो चूका हैं अभी भी ये आसमान पर हैं दलितो व मुसहर बिरादरियों में आप जायेंगे तो ये जाति अभी भी भेदभाव से ग्रसित हैं । जिसे आज तक कोई अधिकार नहीं मिल पाया हैं किस तरह से ये समाज के लिए एक मुर्गे की तरह हैं पहले तो लालन - पालन करेंगे बाद में तड़पा - तदपा के नस - नस झल्ली कर देते हैं । मुसहरो की हयात जीवन में हम और हमारी सरकारे किस तरह उथल पुथल मचाती हैं और इनकी नर्क से भरी जीवन को इस पुस्तक के माध्यम से जानेंगे ।
आज के इस कलयुग में मनुष्य को किसी के दुख, दर्द से कोई ताल्लुक नहीं है अगर हम इस माया रुपी संसार में नाटक खेल रहे प्रजा Read More...
Are you sure you want to close this?
You might lose all unsaved changes.
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.