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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
यात्रा-वृतांत ‘पोआमा से माथो’ में बिहार के एक गाँव से लद्दाख के एक गाँव तक मोटरसाईकिल यात्रा का वर्णन किया गया है | यह पुस्तक पंद्रह चैप्टर में बटा है, सभी चैप्टर में यात्रा
यात्रा-वृतांत ‘पोआमा से माथो’ में बिहार के एक गाँव से लद्दाख के एक गाँव तक मोटरसाईकिल यात्रा का वर्णन किया गया है | यह पुस्तक पंद्रह चैप्टर में बटा है, सभी चैप्टर में यात्रा के दौरान हुई अलग-अलग परेशानियों और सहूलियतों का जिक्र किया गया है |हमारी लद्दाख यात्रा 24 मई से शुरू होकर 11 जून 2022 तक, कुल उन्नीस दिनों की यात्रा थी. यह पोआमा से शुरू होकर, लखनऊ, दिल्ली, पानीपत, पठानकोट, पहलगाम, श्रीनगर, गुलमर्ग, कारगिल, लेह, माथो, पैगोंग, मनाली, कुल्लू होते हुए गुजरी थी. इस पुस्तक को सह यात्री कौशल जी, शशि जी, विकास जी, मोनू और गुंजन से कई बार वार्तालाप के बाद तैयार किया गया है, तथा उनके अनुभव को इसमें शामिल किया गया है. यह पुस्तक भविष्य में मोटर साइकिल से जाने वाले लद्दाख यात्री का मार्गदर्शन कर सकेगा |
एकांकी ‘मेरा पैसा उसका पैसा’ में एक गरीब का मार्मिक चित्रण किया गया है, जो समाज के घूसखोरी प्रवृति से आहत है | मगही एकांकी “दुधिया दादी” में एक बुजुर्ग महिला की परिशानियो
एकांकी ‘मेरा पैसा उसका पैसा’ में एक गरीब का मार्मिक चित्रण किया गया है, जो समाज के घूसखोरी प्रवृति से आहत है | मगही एकांकी “दुधिया दादी” में एक बुजुर्ग महिला की परिशानियों का चित्रण किया गया है | एकांकी ‘मेरा पैसा उसका पैसा’ मात्र आठ दृश्यों में समाहित है | एकांकी ‘दुधिया दादी’ मात्र तीन दृश्यों में समाहित है |
दरअसल हमारा पूर्वकालिक ग्रामीण समाज जिस प्रकार डाकुओं के आतंक से प्रभावित रहा है ऐसे में इन नाटकों का वह पात्र जो किसी दुर्दांत डाकू से बदला लेने की सौगंध खाता था अथवा रोबिन हु
दरअसल हमारा पूर्वकालिक ग्रामीण समाज जिस प्रकार डाकुओं के आतंक से प्रभावित रहा है ऐसे में इन नाटकों का वह पात्र जो किसी दुर्दांत डाकू से बदला लेने की सौगंध खाता था अथवा रोबिन हुड की छवि वाला पात्र सदा रोमांचित किया करता था I ऐसे पात्रों के संवाद उद्वेलित व आवेशित करते थे, संभवतः ऐसी पृष्ठभूमि या मनोभाव का प्रभाव या प्रेरणा का प्रतिफल है यह नाटक “इंतकाम अवश्य लूंगा..” की रचना I कालांतर में परिस्थितियां बदली और देश काल के अनुरूप आतंकवाद जैसी भीषण समस्या को केंद्रित करते हुए इस नाटक की रचना की गई है I इस नाटक में आतंकवाद से पीड़ित पंजाब के एक परिवार का सजीव चित्रण किया गया है I एक खुशहाल परिवार आतंकवाद की भेंट चढ़ने के उपरांत किस प्रकार पुनः इस परिवार के तीन सदस्यों (दो भाई और एक बहन) द्वारा अलग-अलग रूपों में इंतकाम लिया जाना अपने नाटकीय स्वरूप में रोमांचित करता है I नाटक का संवाद सुंदर, ग्राह्य, सरल और संक्षिप्त है तथा सभी पात्रों के अनुकूल है I नाटक के उद्देश्य पूर्ण कथावस्तु, समुचित दृश्यों की संख्या और सुरुचिपूर्ण संवाद के कारण इसका मंचन भी आसान प्रतीत होता है
‘असफ़ल कौन ?’ एक सलाहकारी किताब है| इस पुस्तक का मकसद है लोगों को ‘आत्महत्या’ से बचाना | लोग जीवन के सफ़लता और असफ़लता को एकदिनी सफ़लता और असफ़लता न समझें | किसी व्यक्ति को अपने ज
‘असफ़ल कौन ?’ एक सलाहकारी किताब है| इस पुस्तक का मकसद है लोगों को ‘आत्महत्या’ से बचाना | लोग जीवन के सफ़लता और असफ़लता को एकदिनी सफ़लता और असफ़लता न समझें | किसी व्यक्ति को अपने जीवन को खुद ख़त्म नहीं करना चाहिए | इस पुस्तक के द्वारा लेखक यह बताना चाह रहा है कि कोई अपने अमूल्य जीवन यूँ ही न जाने दें, आस पास ही ऐसे लोग मिल जायेंगा , जो उक्त व्यक्ति से ज्यादा परेशानी में हैं | इस पुस्तक में ग्राफ के द्वारा यह प्रदर्शित करने का कोशिश किया गया है कि जिन्दगी का जीवन स्तर किस तरह से बदलता है | इस पुस्तक कुछ प्रसिद्ध लोग का जीवन वृतांत भी संक्षेप में बताया गया है |
इस पुस्तक के सन्देश को ज्यादा से ज्यादा लोग के बीच पहुंचायें जाएँ , यही आग्रह है | शायद कुछ जाने वाली जिंदगियां बच जाये ..
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