DEV SHARMA

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काव्य संग्रह

Books by देव शर्मा (गोविंद)

सम्मुख सब सीमित यहाँ , देख सके न कोय

असीम को ढूँढत  फिरू , जो भीतर ही होय।

इस पुस्तक में मैंने कई बाते ऐसी कहीं हैं जो मेरी पीढ़ी के लोग ज्यादा बेहतर तरीके से समझेंगे। मैं विषय

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काव्य संग्रह

Books by देव शर्मा ( गोविन्द )

सम्मुख सब सीमित यहाँ , देख सके न कोय

असीम को ढूँढत  फिरू , जो भीतर ही होय।

इस पुस्तक में मैंने कई बाते ऐसी कहीं हैं जो मेरी पीढ़ी के लोग ज्यादा बेहतर तरीके से समझेंगे। मैं विषय

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अपनी पीढ़ी का अपना अनुभव

Books by देव शर्मा

सम्मुख सब सीमित यहाँ , देख सके न कोय

असीम को ढूँढत  फिरू , जो भीतर ही होय।

इस पुस्तक में मैंने कई बाते ऐसी कहीं हैं जो मेरी पीढ़ी के लोग ज्यादा बेहतर तरीके से समझेंगे। मैं वि

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अनित्य से नित्य की ओर

Books by देव शर्मा

इस पुस्तक में मेरे विचार कविता के रूप में मूल रूप से शब्दों के रूप लिखे गए हैं। मेरे लिए ये केवल विचार नहीं हैं, बल्कि अपने आस-पास की चीजों को देखते हुए एक-एक पल का अनुभव हैं। कुछ कव

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एक प्राण से प्रकृति प्रणाम

Books by देव शर्मा (गोविंद)

इस पुस्तक में मेरे विचार कविता के रूप में मूल रूप से शब्दों के रूप लिखे गए हैं। मेरे लिए ये केवल विचार नहीं हैं, बल्कि अपने आस-पास की चीजों को देखते हुए एक-एक पल का अनुभव हैं। केवल म

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ME

By DEV SHARMA in Mystery | Reads: 3,512 | Likes: 33

An 18 year old boy went out to find the answer of who I am, apart from the body or some body or something else. Absolutely ignorant of the world, neither does he remember anything behind nor worry about the future, just wandering around happily in himself, makes a path himself or chooses himself. On  Read More...

Published on Oct 1,2022 08:22 PM

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