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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalMoinuddin Khan is a Lucknow University educated philosophical minded young and energetic author currently working as an education officer in Bihar Education Service Cadre. His keen observation of human behaviour and philosophical thoughts encouraged him to write this fiction based story. He has interest of writing since his childhood times. He has written many articles and research papers in national level journals of NCERT. He can be contacted through email: [link removed] मोईनुद्दीन ख़ान लखनऊ विश्वविद्यालय से शिक्षा Read More...
Moinuddin Khan is a Lucknow University educated philosophical minded young and energetic author currently working as an education officer in Bihar Education Service Cadre. His keen observation of human behaviour and philosophical thoughts encouraged him to write this fiction based story. He has interest of writing since his childhood times. He has written many articles and research papers in national level journals of NCERT. He can be contacted through email: [link removed]
मोईनुद्दीन ख़ान लखनऊ विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त दार्शनिक सोच वाले युवा और ऊर्जावान लेखक हैं जो वर्तमान में बिहार शिक्षा सेवा संवर्ग में शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। मानव व्यवहार और दार्शनिक विचारों के प्रति उनकी गहरी समझ ने उन्हें यह काल्पनिक कहानी लिखने के लिए प्रेरित किया। उन्हें बचपन से ही लेखन में रुचि है। उन्होंने NCERT की राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में कई लेख और शोध पत्र लिखे हैं। उनसे ईमेल: moinuddinkhanlu@gmail.com के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है।
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मुन्ना! अपनी उम्र से ज़्यादा ऊँची सोच के साथ रब के नियमों को मानने वाला जोशीला नौजवान अपनी लेखनी थाम चुका है। ज़िन्दगी में मस्त है लेकिन दुनियावी ख़ुराफ़ातों से बेहद आहत। उसकी स
मुन्ना! अपनी उम्र से ज़्यादा ऊँची सोच के साथ रब के नियमों को मानने वाला जोशीला नौजवान अपनी लेखनी थाम चुका है। ज़िन्दगी में मस्त है लेकिन दुनियावी ख़ुराफ़ातों से बेहद आहत। उसकी सोच है कि ज़िन्दगी बहुत छोटी है और ये हमारी सोच से भी कहीं तेज़ बीत रही है। पीछे मुड़कर देखने पर हम पायेंगे कि बहुत से पल हम ने यूँ ही दुःख में गँवा दिये। ख़ुश रहना और ख़ुशी पाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। हम आज़ाद हैं ये चुनाव करने के लिए कि किस से जुड़ें और किस से नहीं। समाज से हम कुछ बेहतर प्राप्त करने के हक़दार हैं। कीना, कपट, दुःख और लोगों की ईर्ष्या हमारे साथी नहीं। हम इसके पात्र नहीं। आख़िर हम चेतना रखते हैं। लोगों के षड्यन्त्र और ख़राब चालों से दूर रहकर हमें इन तेज़ी से बीत रहे लम्हों को ख़ुशी से जीना है। क्या इस ज़ालिम दुनिया को कभी ये एहसास होगा कि उसने एक हमेशा हँसते, खेलते, बोलते, चहकते, ऊर्जावान, खिखिलाते और मदद करते रहने वाले पंछी को ख़ामोश कर दिया है? वही ज़िम्मेदार है इस अन्धेरे का? बिल्कुल नहीं। इस लिए जीवन सुकून भरा जीना है। क्योंकि ये हमारा हक़ भी है। उसकी गुज़ारिश है हम से कि हम ख़ुद प्रेम भरा जीवन जियें और इस जतन में तुरन्त लग जायें कि कहीं कोई मुन्ना फिर हिम्मत न हार बैठे। आख़िर मुन्ना की क़लम बहुत कुछ ऐसा कह गयी है जिसे सजग होकर अपनाने की ज़रूरत हम सबको है।
मुन्ना! अपनी उम्र से ज़्यादा ऊँची सोच के साथ रब के नियमों को मानने वाला जोशीला नौजवान अपनी लेखनी थाम चुका है। ज़िन्दगी में मस्त है लेकिन दुनियावी ख़ुराफ़ातों से बेहद आहत। उसकी स
मुन्ना! अपनी उम्र से ज़्यादा ऊँची सोच के साथ रब के नियमों को मानने वाला जोशीला नौजवान अपनी लेखनी थाम चुका है। ज़िन्दगी में मस्त है लेकिन दुनियावी ख़ुराफ़ातों से बेहद आहत। उसकी सोच है कि ज़िन्दगी बहुत छोटी है और ये हमारी सोच से भी कहीं तेज़ बीत रही है। पीछे मुड़कर देखने पर हम पायेंगे कि बहुत से पल हम ने यूँ ही दुःख में गँवा दिये। ख़ुश रहना और ख़ुशी पाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। हम आज़ाद हैं ये चुनाव करने के लिए कि किस से जुड़ें और किस से नहीं। समाज से हम कुछ बेहतर प्राप्त करने के हक़दार हैं। कीना, कपट, दुःख और लोगों की ईर्ष्या हमारे साथी नहीं। हम इसके पात्र नहीं। आख़िर हम चेतना रखते हैं। लोगों के षड्यन्त्र और ख़राब चालों से दूर रहकर हमें इन तेज़ी से बीत रहे लम्हों को ख़ुशी से जीना है। क्या इस ज़ालिम दुनिया को कभी ये एहसास होगा कि उसने एक हमेशा हँसते, खेलते, बोलते, चहकते, ऊर्जावान, खिखिलाते और मदद करते रहने वाले पंछी को ख़ामोश कर दिया है? वही ज़िम्मेदार है इस अन्धेरे का? बिल्कुल नहीं। इस लिए जीवन सुकून भरा जीना है। क्योंकि ये हमारा हक़ भी है। उसकी गुज़ारिश है हम से कि हम ख़ुद प्रेम भरा जीवन जियें और इस जतन में तुरन्त लग जायें कि कहीं कोई मुन्ना फिर हिम्मत न हार बैठे। आख़िर मुन्ना की क़लम बहुत कुछ ऐसा कह गयी है जिसे सजग होकर अपनाने की ज़रूरत हम सबको है।
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