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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalThe author, Rahul Pandey, was born in a middle-class family district of Jaunpur province of Uttar Pradesh, India. He did his schooling there and later, went to Kanpur because of his father’s business, where he received graduate education. Thereafter, he obtained a diploma from Civil Engineering from State Polytechnic, Kanpur and worked as a Civil Engineer at Noida, Uttar Pradesh. In the family, he started his life with grandfather, Shri Hari Prasad Pandey, grandmother Late Shrimati Vidya Devi, mother Smt. Maya Devi and father Arvind Pandey besides a brother, Rohit Pandey, and sister, Uma DevRead More...
The author, Rahul Pandey, was born in a middle-class family district of Jaunpur province of Uttar Pradesh, India. He did his schooling there and later, went to Kanpur because of his father’s business, where he received graduate education. Thereafter, he obtained a diploma from Civil Engineering from State Polytechnic, Kanpur and worked as a Civil Engineer at Noida, Uttar Pradesh.
In the family, he started his life with grandfather, Shri Hari Prasad Pandey, grandmother Late Shrimati Vidya Devi, mother Smt. Maya Devi and father Arvind Pandey besides a brother, Rohit Pandey, and sister, Uma Devi. In 2012, he married Anita, the love of his life.
He started writing at the age of thirteen. His grandfather, Shri Hari Prasad Pandey, gave importance and inspiration to his writings, read and appreciated his first creation, which he had completed at the age of thirteen, and assured the continuation of this cycle.
From his education to the period of primary income, at the age of twenty-eight, he had written many compositions, which will be presented from time-to-time before you. His compositions include dramatic dialogues, poetry novels, etc.
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संक्षिया वर्णित उपाख्यान, त्रयकथा ‘बारह सौ दिव्या वर्ष कलियुग के’ उपन्यास अवतरण भाग-०२ ‘स्वर्ग एक युद्ध-क्षेत्र’, की, जिसका प्रथम भाग अनुभाग ‘कालगा पिशाचों के देव’ है,
संक्षिया वर्णित उपाख्यान, त्रयकथा ‘बारह सौ दिव्या वर्ष कलियुग के’ उपन्यास अवतरण भाग-०२ ‘स्वर्ग एक युद्ध-क्षेत्र’, की, जिसका प्रथम भाग अनुभाग ‘कालगा पिशाचों के देव’ है, इस द्वितीय भाग की भूमिगत व पटपथलिय संरचनात्मकता, प्रथम भाग के, अंत के सिरे को, जोड़ते हुए, उदय की ओर को, अग्रेषित होती है, कथकिय भावांतर में, यह त्रयकथा अपने पहले प्रति के, प्रमुख उन्नायक पात्र ‘कालगा’ जोकि, पैशाचिक देव शक्ति-लोकिय स्वामित्व प्रदान चरित्र के, इर्द-गिर्द घूमती हुई, कलियुग आरम्भ के, पांच हजार वर्ष पूर्वोत्तर से आरम्भ होती हुई, कलियुग के प्रथम चरण के, अग्रिम के इक्कीस सौ मानवीय वर्षों की, सामायिक सीमा रेखा को छूती है, जिसमे ‘पुन्डाहो’ साम्राज्य सभ्यता की, अन्तोदय तक के, पहलुओं का जिक्र करती हुई, उस रहस्यमयी खजाने का, धरती के गर्त पाताल में, समापन तक की, घटना का उल्लेख, त्रयकथा ‘बारह सौ दिव्या वर्ष कलियुग के’ प्रथम प्रति ‘कालगा-पिशाचों के देव’ में, क्रमिक वर्णन किया गया है।
त्रयकथा द्वितीय प्रति ‘स्वर्ग एक युद्ध-क्षेत्र’ अपने प्राथमिक क्रमिक घटनाओं, को सुनियोजित करते हुई, एक हजार दैव्य वर्ष के, सफर को तय करती है, जोकी इंसानी, गणमानक संख्या तीन लाख, साठ हजार वर्ष के, बराबर है, कथाचक्र ‘कालगा’ के, इंसानी धरती से, अग्रेषित होकर कोटिक-योजन की, दूरी पर 'रदिवर्तम' नक्षत्र स्थित पिंड 'स्वर्ग' व् 'वैकुण्ठ' के द्वार तक जा पहुंची, जहाँ तारुम ग्रहीय पैशाच व धरती वासियों समेत, अन्यत्र कई दूसरे नक्षत्र स्थित, ग्रहीय सभ्यताओं ने, मिलकर देव सभ्यताओं से, युद्ध अट्टहास करते है, तथा कृति की समाप्ति देवताओं व ‘कालगा’ समेत कई, अन्यत्र सभ्यताओं के मुखियागणों के, संधि-प्रस्ताव पारित होने की, दशा पर, समाप्त हो जाती है,
सम्पूर्ण उपन्यास पृष्ठभूमि, भारतवर्ष के, उस समयकाल की, चर्चा करता है, जब देश में, ए.आई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने, अपना पूरा दबदबा बना रखा था, उपन्यास में चर्चित समयकाल, सन् २००८ से,
सम्पूर्ण उपन्यास पृष्ठभूमि, भारतवर्ष के, उस समयकाल की, चर्चा करता है, जब देश में, ए.आई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने, अपना पूरा दबदबा बना रखा था, उपन्यास में चर्चित समयकाल, सन् २००८ से, उसके आखिरी पड़ाव सन् २०२१ के, आवरण को, काल्पनिक दशाओं में, वर्णित किया गया है, जिसे उपन्यास के, अधिकतम पर्तों में, दर्शाया गया है कि, लर्निंग मशीनों में स्वयं की, अपनी एक समझ थी, तथा उनमे निर्णय लेने की पूर्ण, अनुमति उन्हें प्राप्त थी। उनमें इतनी समझ आ चुकी थी की, वे किसी भी फैसले को, स्वयं से ले सकें, और उसे अन्जाम तक पहुंचा सकें।
कल्पनाओं के, इस समंदर में, कहानी के हर एक पात्र को, भलीभांति संजोने की, बाखूब कोशिश की गई है की, मौजूदा हालातों में, भारत के समस्त नागरिकों पर, रोबोट्स बाखूब अपनी नज़र बनाये हुए थे, ऐसा इसलिए की, देश के प्रत्येक नागरिक को, बेहतर सुरक्षा प्रदान की जा सके। ..जिस सुरक्षा प्रणाली के अन्तर्गत, समस्त भारतीय नागरिकों को, एक खास उद्देश्य की पूर्ति के लिए, उनके अन्दर एक माईक्रोचीप इंजेक्ट कर, उसके सीरियल नम्बर के आधार पर, उन्हें एक पहचान दे दी जाती थी। ..और उनके हाथ में, थमा दिया जाता था, एक बारकोड, जो ताउम्र उनकी आइडेंटिटी के रूप में, जाना जाता था। ..यह प्रक्रिया इन्सान के पैदा होते ही, किसी अजनवी सरकारी डॉक्टर्स से, पूर्ण करा दी जाती थी, जबकी पैदा हुए शिशु में, इंजेक्ट होने वाला, माईक्रोचीप, जो किसी ट्रांसमीटर की भांति, काम किया करता था, ..जिसकी मध्यस्थता से, उन रोबोटिक मशीनों को, प्रत्येक भारतीय को, ट्रैक करने में, काफी आसानी होती थी, ..वो माईक्रोचीप एक विलयशील पदार्थ थी, जो शिशु के शरीर में, रहते हुए, कुछ इस तरह विलुप्त हो, जाया करती थी
हास्यप्रद तथा घनघोर विस्मय पर, आधारित इस उपन्यास के, ज्यादातर खण्ड, दो बेहूदे नवयुवकों की, जीवन शैली को दर्शाते हुए, उन घटनाओं का जिक्र करती है, जब वे दोनों ही बेरोजगार थे, तथा कथान
हास्यप्रद तथा घनघोर विस्मय पर, आधारित इस उपन्यास के, ज्यादातर खण्ड, दो बेहूदे नवयुवकों की, जीवन शैली को दर्शाते हुए, उन घटनाओं का जिक्र करती है, जब वे दोनों ही बेरोजगार थे, तथा कथानक के, ज्यादातर हिस्सों में, केवल उनके द्वारा, रोजगार को खोजने, व् उनके साथ हुई, कुछ अनाप-सनाप हरकतों को, वर्णित किया है।
घटनाक्रम, निरन्तर उन्हीं दो, पढ़े लिखे बेहूदों के, आसपास ज्यादातर भटकता है। जो निरन्तर नौकरी, पेशा ढूंढने में, लगे हुए हैं, और कई नाकाम कोशिशों के बावजूद, वे काफी समय तक, नाकाम ही घूमते हैं, उपन्यास की पृष्ठभूमि, उस समयकाल को, दिखाने की कोशिश करती है, जब पूरा विश्व मंदी के दौर से, गुजर रहा था, और वे दो, खास हुनर मन्द बेचारे, बेरोजगार थे।
उपन्यास के आखिरी पड़ाव में, वे सफल तो होते हैं, लेकिन जिन दो चरित्रों का, उपन्यास में जिक्र किया गया है, वे वास्तविकता में, होते ही नहीं हैं, वे तो उपन्यास के, किसी तीसरे चरित्र द्वारा, उसके साथ हुई, किसी असाधारण घटना से, उत्पन्न हुई, एक तरह का विकार, या काल्पनिक चरित्र हैं, जिसे उसने वास्तविकता का, एक रूप दे दिया था।
..हालांकि, कहानी खत्म होने के बाद भी, कई ऐसे तत्थों का, खुलासा नहीं करती है, जो कई तरह के, भ्रम को पैदा करते हैं। परन्तु कहानी को, कुछ इस कदर रूख दिया गया है की, कहानी को बिना पूर्ण किये ही, और निरन्तर सम्भ्रम, व् विभ्रान्ति पैदा करते हुए भी, यह कहानी कहीं से, अपूर्ण नहीं लगती, और पाठक स्वयं ही, कथानक के परिणाम तक पहुंच जाते हैं, यही विशेषता ही, इस साहित्य विधा की, एक मात्र कला निधानता भी है।
Featured in the book are some of the world’s most mysterious events, which make the journey even more exciting. In addition to being a comedy, and connecting the Gambling World, this book is an absolute thriller.
After moving beyond the stairs of fantasies, the round began. He was such a lawful thug that the whole world was unaware and could not even imagine it could be possible.
This story ranges from the introduction of Bitcoin, i.e., continu
Featured in the book are some of the world’s most mysterious events, which make the journey even more exciting. In addition to being a comedy, and connecting the Gambling World, this book is an absolute thriller.
After moving beyond the stairs of fantasies, the round began. He was such a lawful thug that the whole world was unaware and could not even imagine it could be possible.
This story ranges from the introduction of Bitcoin, i.e., continuously connecting the early inventions of 2006, through the journey of 12 years, with its characters being the creators of the inventions. Satoshinakamotoz, is the protagonist who invents to play with it and fulfill his own plan.
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