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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal07/01/1960 को ग्राम पनागर, जिला जबलपुर, मध्यप्रदेश में जन्मी डॉ. अर्चना चंदेल (पिता स्वर्गीय श्री गुरु प्रसाद सिंह चंदेल ‘कर्ण’) एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर ने.सु.चं.बो.शा.क. महाविद्यालय सिवनी म.प्र. में कार्यरत हैं। ऐतिहासिक संग्रहालयोRead More...
07/01/1960 को ग्राम पनागर, जिला जबलपुर, मध्यप्रदेश में जन्मी डॉ. अर्चना चंदेल (पिता स्वर्गीय श्री गुरु प्रसाद सिंह चंदेल ‘कर्ण’) एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर ने.सु.चं.बो.शा.क. महाविद्यालय सिवनी म.प्र. में कार्यरत हैं। ऐतिहासिक संग्रहालयों व स्मारकों एवं लोक जीवन में विशेष रुचि रखने वाली डॉ. अर्चना चंदेल समाजकल्याण, आध्यात्मिक उन्नति के अपने संकल्प पर निरंतर प्रगति करती जा रही हैं। साहित्य की समस्त विधाओं में इनका ज्ञान अतुलनीय है एवं लेखन की सभी शैलियों में विशेष महारत रखती हैं एवं हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से एम.ए. हिन्दी में स्वर्ण पदक प्राप्त डॉ. अर्चना चंदेल शोध के नए आयामों तक पहुँची हैं, किसी भी विषय के समुद्र में जाकर यह मंथन कर अमृत व विष को बड़ी सरलता से उजागर कर देती हैं। श्री गिरिजा कुमार माथुर के काव्य शिल्प पर की गई इनकी पीएचडी तथा इनकी पुस्तकें - 1. अर्चना की कलियाँ(काव्य संग्रह) 2. मेरे शोध आलेख(आलेख संग्रह) 3. अल्फ़ाज़ जज़्बात के(गज़ल संग्रह) साहित्य जगत के लिए अनुपम योगदान हैं। डॉ. अर्चना चंदेल को इनकी नई शोध पुस्तक महिला उत्पीड़न और नारी उत्थान के लिए अनेकानेक मंगलकामनाएँ…
संजीव मिश्रा(संजू)
सांसद प्रतिनिधि विधानसभा सिवनी (BJP) 9424639011
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‘‘मोहित: तुम्हारा इंतज़ार’’ – इंतज़ार के तमाम जज़्बात पिरोये हैं, अल्फ़ाज़ों में। खुशी, तड़प, दुख, उल्झन क्या–क्या न हासिल हुआ इंतज़ार में। बचपन से शुरू हुआ इंतज़ार का सि
‘‘मोहित: तुम्हारा इंतज़ार’’ – इंतज़ार के तमाम जज़्बात पिरोये हैं, अल्फ़ाज़ों में। खुशी, तड़प, दुख, उल्झन क्या–क्या न हासिल हुआ इंतज़ार में। बचपन से शुरू हुआ इंतज़ार का सिलसिला जवानी को पार कर गया और अनगिनत तजुर्बे दे गया। आपने अगर कभी भी किसी जाने-अंजाने का इंतज़ार किया है तो यकीन जानिये मुझे पढ़कर आप निराश नहीं होंगे।
तमाम प्रगतियों के बावजूद भी कई नारियों को स्व-अस्तित्व का अहसास नहीं है। यह पुस्तक उन सभी नारियों एवं पुरुषों एवं रिसर्च स्कॉलर के लिये अत्यंत उपयोगी है जो राष्ट्रोत्था
तमाम प्रगतियों के बावजूद भी कई नारियों को स्व-अस्तित्व का अहसास नहीं है। यह पुस्तक उन सभी नारियों एवं पुरुषों एवं रिसर्च स्कॉलर के लिये अत्यंत उपयोगी है जो राष्ट्रोत्थान चाहते हैं एवं नारी का सम्मान करते हैं।
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