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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalThe author is a retired person. The latter part of his life was dedicated towards writing. The aim of the author was to create an interest in reading books. The author has selected an interesting story by studying the interests of people and their choices, the secrets, adventure, the excitement of love, and the sudden cracks in them, etc. have been mixed in this novel. The Revenge of the Creature is the first novel of the writer, which was written to fulfill his goals. This book was written only for a limited class. In this context, the Notion Press’s efforts to help the author publish Read More...
The author is a retired person. The latter part of his life was dedicated towards writing. The aim of the author was to create an interest in reading books. The author has selected an interesting story by studying the interests of people and their choices, the secrets, adventure, the excitement of love, and the sudden cracks in them, etc. have been mixed in this novel. The Revenge of the Creature is the first novel of the writer, which was written to fulfill his goals. This book was written only for a limited class.
In this context, the Notion Press’s efforts to help the author publish his book are highly commendable.
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रोचक कथ्य से युक्त प्रेतात्मा का प्रतिशोध , उपन्यास का ताना.बाना सरस और तीव्र प्रवाहयुक्त शैली से बुना गया है, जो पाठकों को बरबस अपने साथ बहा ले जाती है। उपन्यास का शिल्प बैजोड़ ह
रोचक कथ्य से युक्त प्रेतात्मा का प्रतिशोध , उपन्यास का ताना.बाना सरस और तीव्र प्रवाहयुक्त शैली से बुना गया है, जो पाठकों को बरबस अपने साथ बहा ले जाती है। उपन्यास का शिल्प बैजोड़ है। कथानक में कसावट है। घटनाएं इतनी तेजी से घटती है कि पाठक सांस रोके एक के बाद एक पृष्ठ पलटता जाता है। इस उपन्यास के केन्द्र में प्रेतात्मा है, जो एक मनुष्य के भीतर प्रवेश कर उन लोगों से प्रतिशोध लेने आती है, जिन्होंने उसकी निर्ममता से हत्या करवा ई थी। किन्तु उपन्यास के मूल में पति. पत्नी के संबंधों में उत्पन्न हु ई खटास है, जिससे वे नियति के हाथों के खिलौने बन गये ओर उनका सुखमय संसार उजड़ गया। लालच में अंधा हो कर मनुष्य बहुत कुछ पाना चाहता है, किन्तु अपनी गांठ में बंधे सुख-चैन को भी गवां देता है। लालच उसे अपराध करने को उकसाता है और धनबल से सरकारी तंत्र को खरीद कर यह मान बैठता है कि धन से सब कुछ खरीदा जा सकता है। परन्तु हकीकत यह है कि भाग्य विधाता लिखती है। न हम किसी का भाग्य लिख सकते हैं और न ही उसके भाग्य की लकीरे मिटा सकते हैं। इस विषय को पुस्तक में प्रभावी ढंग से उठाया गया है। जिनकी अकाल मौत होती है, उनकी अतृप्त आत्मा उस अदृश्य रहस्य लोक में भटकती रहती है, जो हमे नग्न आंखों से नहीं दिखार्इ देता, स्पर्श कर हम उसके अस्तित्व की पहचान नहीं कर सकते। कभी-कभी ऐसी घटनाएं घटित होती है, जो अहसास कराती है- को ई अदृश्य शक्ति हमारे आस पास है, हम महसूस करते हैं, उसे तर्कों या शब्दों से अभिव्यक नहीं कर सकते।
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