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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palखुद को ढूँढने की काफ़ी जद्दोजहद बाद, २०१५ में, मिहिर ने एक कॉपीराइटर (Copywriter) की नौकरी पकड़ी| अगले चार साल मुंबई की विविध ऐड एजेंसी में फाइनेंस, हेल्थकेयर, टेलिकॉम, आदि की बड़ी-छोटी ब्रांड्स के लिए लिखना उनकी मुख्य ज़िम्मेदारी बनी| तेज़ी से आRead More...
खुद को ढूँढने की काफ़ी जद्दोजहद बाद, २०१५ में, मिहिर ने एक कॉपीराइटर (Copywriter) की नौकरी पकड़ी| अगले चार साल मुंबई की विविध ऐड एजेंसी में फाइनेंस, हेल्थकेयर, टेलिकॉम, आदि की बड़ी-छोटी ब्रांड्स के लिए लिखना उनकी मुख्य ज़िम्मेदारी बनी| तेज़ी से आगे बढ़ते हुए उन्होंने कुछ पीछे छूटता हुआ पाया, खुद को एक बार फिर से खोता हुआ पाया| खुशी और कलात्मक स्वतंत्रता की खोज में २०१९ से उन्होंने एक ‘फ्रीलांस राइटर’ की हैसीयत से काम करना शुरू किया और आज वही कर रहे हैं|
पेट और पर्यटन के लिए आज भी कभी-कभार झूठी हेडलाइंस लिखनी पड़ती है; लेकिन अब उन्हें अपनी सच्ची कला को आज़ाद करने का समय भी मिल जाता है| इसी समय में वे किताबें, कवितायें और शोर्ट फिल्म लिखकर अपने जीवन रथ को हरी घास में दौड़ाने की चेष्ठा कर रहे हैं|
मिहिर के विचार आप उनके Instagram हैंडल- @mihirj31 पर देख सकते हैं|
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यह किताब मैंने तुम्हारे लिए लिखी है| और अपने लिए भी| इसमें मेरी परछाई मिलेगी, और तुम्हारी भी|
वैसे मैं तुम्हें जानने का दावा हरगिज़ नहीं कर सकता क्योंकि अभी तो मैं खुद को भी पूरी
यह किताब मैंने तुम्हारे लिए लिखी है| और अपने लिए भी| इसमें मेरी परछाई मिलेगी, और तुम्हारी भी|
वैसे मैं तुम्हें जानने का दावा हरगिज़ नहीं कर सकता क्योंकि अभी तो मैं खुद को भी पूरी तरह से नहीं जानता हूँ, और माना कि हम दोनों काफी बातों में अलग हैं... लेकिन कुछ चीज़ें हैं, कुछ habits, कुछ experiences हैं, जो हम दोनों को बिलकुल एक जैसा बनाते हैं|
हम millennials पर तेज़ी से बदल रहे समय के साथ बदलने का बोझ है| कई बातों में पिछली पीढ़ी से ज़्यादा समझदार होने के बावजूद हम अक्सर अपने आप को ही नहीं समझ पाते|
बस उम्मीद करता हूँ कि कभी, कहीं, पानी पूरी का मज़ा लेते लेते हम एक दूसरे को, और अपने आप को, थोड़ा और जान पायेंगे|
- मिहिर जोशी
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