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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहालांकि मुकुंद भट्ट उत्तराखंड निवासी हैं, पर फिलहाल वो कोलकाता में नौकरी करते हैं। शायरी और कविताएं लिखते हुए इन्हें एक दशक से ज़्यादा समय हो गया है। बहुत ही गहरे और संजीदा ख़यालों को सीधे और आसान तरीके से लिख कर ज़ाहिर करना इनकी खूबRead More...
हालांकि मुकुंद भट्ट उत्तराखंड निवासी हैं, पर फिलहाल वो कोलकाता में नौकरी करते हैं। शायरी और कविताएं लिखते हुए इन्हें एक दशक से ज़्यादा समय हो गया है। बहुत ही गहरे और संजीदा ख़यालों को सीधे और आसान तरीके से लिख कर ज़ाहिर करना इनकी खूबी है। इन्हें पसंद है कि जो इनकी कविताएं पढ़ें वो अपने ही तरीके से उससे जुड़ें। इनके निजी अनुभवों से इन्हें अपनी कविताओं के लिए प्रेरणा मिलती है। इसके अलावा ये अक्सर उन लोगों के जज़्बातों को भी अपने शब्दों में ढालने की कोशिश करते हैं जिनसे ये मिलते हैं या बातें करते हैं या फिर कोई बहुत ही साधारण सा वाक़िया जो इन्हें छू जाए, जैसे सड़क किनारे सोया हुआ एक शख्स जिसका ज़िक्र इन्होंने अपनी कविता "रईसी" में किया है। या अपने साथी से बिछड़ने का दर्द जो "तुझसे बिछड़ना" में बखूबी उभर के आया है। या फिर पार्क में बैठे उस जोड़े की छोटी सी कहानी जहाँ दोनों की अनबन और बात न करने के सिलसिले को "फासले" में बताया है। मुकुंद अपनी कविताओं के ज़रिये अपने भाव सामने रखना पसंद करते हैं और खुद से मिलने और अपने जज़्बातों को ज़ाहिर करने का एकमात्र ज़रिया मानते हैं। उनकी कविताएं अनजानी गहराइयों और वास्तविक संभावनाओं को एक साथ आकर्षित करता है। मुकुंद मिर्ज़ा ग़ालिब और गुलज़ार साहब से बहुत प्रभावित हैं और लिखने की प्रेरणा अक्सर इनकी ग़ज़लों और नज़्मों से लेते हैं।
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हम हर दिन कई लोगों से मिलते हैं। वक़्त के साथ इनमें से कुछ हमारे ज़हन में बस जाते हैं और हमारे पास हमेशा के लिए रह जाते हैं, लेकिन इनमें से कुछ हमें हल्के से छू कर, अपनी एक निशानी, एक मह
हम हर दिन कई लोगों से मिलते हैं। वक़्त के साथ इनमें से कुछ हमारे ज़हन में बस जाते हैं और हमारे पास हमेशा के लिए रह जाते हैं, लेकिन इनमें से कुछ हमें हल्के से छू कर, अपनी एक निशानी, एक महक हम पर छोड़ जाते हैं। जो पास रहते हैं, वो तो खैर हमारे ख़यालों का एक बड़ा हिस्सा ले ही लेते हैं। पर वो जो हमसे दूर रहते हैं, वो भी हमारी यादों और कुछ पुराने बिताए पलों में काबिज़ रहते हैं। इस किताब के ज़रिये मैंने उन सभी यादों और जज़्बातों को आपके सामने रखने की कोशिश की है ताकि ऐसी ही कुछ बेघर यादों और पलों को आपके ज़हन, आपके दिल में एक नयी जगह मिले। यक़ीनन मेरे इन लफ़्ज़ों को हर कोई अलग अलग नज़रिये से देखेगा और समझेगा, पर ये भी सच है कि इन्हें पढ़ कर आपको आपके ज़हन की तह में छुपे उस शख्स की याद ज़रूर आएगी जो शायद आपके साथ आपकी ज़िन्दगी के सफर में तो नहीं है, पर आपकी यादों के एक हिस्से में ज़रूर शामिल है।
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