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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalDeependra Singh known as "VATSA"; is an author & filmmaker. Vatsa is well known on social media platforms for reciting his own poetries in his deep soothing voice. His directorial prowess was recognised first when he received Best Director award for his short film “I Witness” at MISFF in 2016. Additionally, Vatsa has been nominated thrice in Indian Television Academy Awards (ITA) for best Editor award. Vatsa’s writing repertoire includes “Rooh” a book containing his poems, "Inshaa" book of shayari and “Sankhanaad” a novel based on the life of ‘Aghori’ Read More...
Deependra Singh known as "VATSA"; is an author & filmmaker. Vatsa is well known on social media platforms for reciting his own poetries in his deep soothing voice. His directorial prowess was recognised first when he received Best Director award for his short film “I Witness” at MISFF in 2016. Additionally, Vatsa has been nominated thrice in Indian Television Academy Awards (ITA) for best Editor award. Vatsa’s writing repertoire includes “Rooh” a book containing his poems, "Inshaa" book of shayari and “Sankhanaad” a novel based on the life of ‘Aghori’
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Achievements
जब जीवन के हर एक पल को जीने वाली शशि ने पहली बार उस भस्म-मले कपाली को देखा, जो आसमान की ओर शंख उठाए, उसमें अपार शक्ति फूँक रहा था, वह एक पल के लिए थम गई। उसकी यात्रा इलाहाबाद विश्वविद्
जब जीवन के हर एक पल को जीने वाली शशि ने पहली बार उस भस्म-मले कपाली को देखा, जो आसमान की ओर शंख उठाए, उसमें अपार शक्ति फूँक रहा था, वह एक पल के लिए थम गई। उसकी यात्रा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संगम घात तक पहुँच चुकी थी। बी.ए. में पढ़ने वाली शशि का इस अघोरी के प्रति आकर्षण शंखनाद था—एक नए धर्म युद्ध का।
यह प्रेम कहानी एक नई दिशा में ले जाने वाली है, जहाँ प्रेम की परिभाषा मिलने और बिछड़ने से परे है। शशि और भैरव की इस यात्रा में आत्मा की गहराइयों में उतरकर उसके सच्चे स्वरूप को उजागर करने का प्रयास किया गया है। दो संसारों का यह मिलन दर्शाता है कि प्रेम एक अनंत यात्रा है, जिसमें खोकर ही खुद को पाया जा सकता है।
जब जीवन के हर एक पल को जीने वाली शशि ने पहली बार उस भस्म-मले कपाली को देखा, जो आसमान की ओर शंख उठाए, उसमें अपार शक्ति फूँक रहा था, वह एक पल के लिए थम गई। उसकी यात्रा इलाहाबाद विश्वविद्
जब जीवन के हर एक पल को जीने वाली शशि ने पहली बार उस भस्म-मले कपाली को देखा, जो आसमान की ओर शंख उठाए, उसमें अपार शक्ति फूँक रहा था, वह एक पल के लिए थम गई। उसकी यात्रा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संगम घात तक पहुँच चुकी थी। बी.ए. में पढ़ने वाली शशि का इस अघोरी के प्रति आकर्षण शंखनाद था—एक नए धर्म युद्ध का।
यह प्रेम कहानी एक नई दिशा में ले जाने वाली है, जहाँ प्रेम की परिभाषा मिलने और बिछड़ने से परे है। शशि और भैरव की इस यात्रा में आत्मा की गहराइयों में उतरकर उसके सच्चे स्वरूप को उजागर करने का प्रयास किया गया है। दो संसारों का यह मिलन दर्शाता है कि प्रेम एक अनंत यात्रा है, जिसमें खोकर ही खुद को पाया जा सकता है।
Kuch log manzil par pahunch chuke hote hain
Kuch ne manzil ki taraf chalna shuru kıya hota hai
Aur ham! Hame safar mein rehna pasand hai
Raat 3 baje
Musafir apne apne safar mein rukte hain
Ye kavitaen aese hi musafiron ki hai
Kuch log manzil par pahunch chuke hote hain
Kuch ne manzil ki taraf chalna shuru kıya hota hai
Aur ham! Hame safar mein rehna pasand hai
Raat 3 baje
Musafir apne apne safar mein rukte hain
Ye kavitaen aese hi musafiron ki hai
‘वत्स' हिंदी उर्दू के उभरते हुए युवा कवि हैं, जिनकी शायरी और गजलें संजीदगी और ज़िंदगी की सच्चाई बयान करती हैं। वत्स’ का जन्म ‘इलाहाबाद’ में हुआ पर छोटी आयु में ही जीवन
‘वत्स' हिंदी उर्दू के उभरते हुए युवा कवि हैं, जिनकी शायरी और गजलें संजीदगी और ज़िंदगी की सच्चाई बयान करती हैं। वत्स’ का जन्म ‘इलाहाबाद’ में हुआ पर छोटी आयु में ही जीवन ने उन्हें ‘मुंबई’ बुला लिए। वत्स 12 वर्ष तक कुशल संपादक रहे। वत्स की रचनाएं गांव और शहर का फर्क बखूबी दर्शाती है और प्रेम गीत दिल में एक खास जगह बना लेते हैं। 'इंशा' वत्स की दूरसी किताब है। इससे पहले उनकी कविता संग्रह 'रुह' आप सबके बीच लोकप्रिय है।'ईशा' से वत्स अपनी कुछ नई शायरी आप सबतक पहुंचा रहे हैं।
हम सब की कहानियाँ
कहीं ना कहीं आके मिल जाती हैं
क्यूँ कि हम सब की कहानी उसी एक धागे से जुड़ी है
जहाँ से हमारा अस्तित्व है
इस जिस्मानी भेद में भी हमारी रूह एक है
हम सब की कहानियाँ
कहीं ना कहीं आके मिल जाती हैं
क्यूँ कि हम सब की कहानी उसी एक धागे से जुड़ी है
जहाँ से हमारा अस्तित्व है
इस जिस्मानी भेद में भी हमारी रूह एक है
‘आप’ और ‘मै’ को एक करने की कोशिश है ये किताब
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