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विश्वासघात betrayal

Author Name: Dr. Madhavi Srivastava | Format: Paperback | Genre : Families & Relationships | Other Details
अनूप...जिसके साथ कभी उसने बचपन में होली के रंगों को आकाश के चित्रपट पर बिखेरा था...दीवाली के दीयों से मीनारें बना कर शरारत के डंडों से उसे तोड़ा था...और पतंगों को विश्वास की डोर से बाँध कर पक्षियों सी ऊँची उड़ान दी थी...
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Dr. Madhavi Srivastava

डॉ. माधवी श्रीवास्तवा का जन्म उत्तर-प्रदेश राज्य के सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल वाराणसी शहर में 15 अगस्त सन् 1975 में एक सुसंस्कृत परिवार में हुआ था। पिता श्री शशिकान्त श्रीवास्तव शाखा-प्रबंधक के रूप में बैंक से सेवानिवृत्त हुए। पिता के कार्य-क्षेत्र का स्थानान्तरण होने के कारण उन्होंने कई शहरों में अपनी शिक्षा ग्रहण की । लखनऊ, वाराणसी और प्रयाग bइनकी शिक्षा का मुख्य स्थल रहा है। डी. पी गर्ल्स इंटर कॉलेज से सेकंडरी शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत देश के बहु चर्चित इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूर्व स्नातक, स्नातकोत्तर और संस्कृत भाषा में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भूतपूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर डॉ. सुरेश चंद्र श्रीवास्तव के निर्देशन में डी. फिल् की उपाधि ग्रहण की। डॉ. माधवी श्रीवास्तवा की साहित्य के प्रति रुचि बचपन से ही थी या यूँ कहें कि साहित्य के प्रति रुझान उन्हें अपने पूर्वजों से विरासत में प्राप्त हुआ है, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इनकी माँ श्रीमती वैदेही श्रीवास्तवा भी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से संस्कृत में स्नातकोत्तर हैं और अपने शिक्षण काल में इन्होंने कई सुंदर कविताओं का सृजन किया है, उनकी कुछ कविताएं वाराणसी से प्रकाशित "आज" समाचार-पत्र में प्रकाशित भी हुई थी। यह अलग बात है कि गृहस्थ- कार्य की व्यस्तता के कारण वह इस लेखन कार्य को और आगे न ले जा सकीं, इसके साथ ही उन्हें चित्रकारी, नृत्य और संगीत में भी विशेष अभिरुचि रही है। विश्वविद्यालयी स्तर पर इनकी चित्रकला प्रदर्शनी भी आयोजित हुई थी जो अभूतपूर्व थी और मातामह श्री हरगोविंद प्रसाद श्रीवास्तव भी फ़ारसी, संस्कृत, हिंदी और आंग्ल भाषा के विद्वान थे। इसप्रकार डॉ. माधवी का बचपन एक ऐसे परिवार में हुआ जो कला और साहित्य से विशेष अनुराग रखता है। विवाह पश्चात, व्यवस्तता के कारण वह कुछ समय तक लेखन कार्य से दूर रहीं परंतु उनका साहित्य के प्रति प्रेम उसी तरह बना रहा, अवसर प्राप्त होते ही और पति श्री हरि शंकर श्रीवास्तव के प्रेरणा स्वरूप उन्होंने सर्वप्रथम अपनी रचना 'हिंदी प्रतिलिपी' में प्रकाशित की। कालांतर में माता श्रीमती वैदेही के अथक परिश्रम के द्वारा उनकी लघु कथा "विश्वासघात, betrayal" नोशन प्रेस (Notion Press) में प्रकाशित होने के लिए प्रस्तुत है, जो सराहनीय है।
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