चरित्र नारी गाथा
नारी का चरित्र उस अग्नि की भांति पवित्र है, जिसके प्रभाव में आने पर प्रत्येक अशुद्धियां पूर्णतः समाप्त हो जाती हैं। प्राचीन पुरातन का इतिहास यदि देखा जाए, तो नारी और नारी के सम्मान में आपको अद्भुत सत्य देखने सुनने मिलेंगे। नारी - जो स्वयं में संपूर्ण है, उसे आवश्यकता ही नहीं किसी से समान अधिकार की, क्योंकि नारी स्वयं में सर्वश्रेष्ठ है। नारी का अस्तित्व किसी पुरुष या पुरुषवादी समाज से कही अधिक ऊपर है, किन्तु जब नारी ने अपने उच्चतम ओहदे को छोड़कर पुरुषवादी समाज के साथ चलने की ठानी, तब तब उसने चोट की, अपने अस्तित्व, स्वाभिमान और सर्वगुण होने पर।
जो एक नए जीवन को जन्म देती है, सृष्टि का सृजन करती है, सहनशीलता, दया, ममता जैसे गुण धारण करती है, ऐसी ही नारी के चरित्र की व्याख्या कर, संपूर्ण नारी शक्ति के सम्मान में, नारीत्व को नमन करने के उद्देश्य से संचित की गई हैं इस पुस्तक में प्रकाशित एक एक कृति। चरित्र - नारी गाथा संकलन एक उद्देश्य मात्र है संपूर्ण नारीवाद को जागृत करने का, जहन संजोया गया है अनेकों लेखकों के भावनात्मक विचारों को शब्दों की माला में समेटकर।।