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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palडरना नहीं पर... डा. राजेश्वर उनियाल की लिखी हुई दस डरावनी कहानियों का संकलन है । इसमें लेखक ने विभिन्न रोमांचक व अकल्पनीय बिषयों पर जिन कहानियों को प्रस्तुत किया है, उनमें से लेखक के कथानुसार कुछ कहानियां काल्पनिक हैं तो कुछ लोक वर्णित हैं तो कुछ कहानियां लेखक के जीवन में साक्षात घटित हैं । लेखक का बचपन जिस उतराखंड की सुरम्य वादियों में बीता है, वहाँ के लोक जीवन में ऐसी अनहोनी घटनाएं घटना सामान्य बात है । इसलिए लेखक ने अपनी कहानियों में लौकिक व अलौकिक घटनाओं को काल्पनिक एवं यथार्थ के आधार पर बहुत ही रोचक, सरल एवं धाराप्रवाह शैली में प्रस्तुत किया है । परन्तु अपने अनुभव के आधार पर लेखक यह बताते हुए नहीं भूलते कि आप इन कहानियों को यदि रात में पढ रहे हों तो कमरे की बत्ती अवश्य जलाए रखना...
डा. राजेश् वर निनाा
भारत के माननीय राष्ट्रपति से सम्मानित हिन्दी साहित्य के डॉ. राजेश्वर उनियाल जी का जन्म 26 अक्टूवर 1959 को श्रीनगर गढ़वाल (उत्तराखण्ड) में हुआ । आपने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर तथा हिन्दी व अंग्रेजी में एम.ए. करने के साथ ही मुंबई विश्वविद्यालय से हिन्दी लोक-साहित्य (गढ़वाली व कुमाऊँनी के विशेष संदर्भ में) में पी-एच. डी. की उपाधि भी प्राप्त की है ।
आपकी अब तक शैल सागर, मै हिमालय हूँ, मेरु उत्तराखंड महान (उत्तरखंडी), उत्तरांचल की कविताएं (सं) व Mount & Marine - काव्यकृतियां, पंदेरा व भाडे का रिक्शा - उपन्यास, उत्तरांचल की कहानियां (सं), डरना नहीं पर... कहानियाँ, वीरबाला तीलू रौतेली - नाटक एवं उत्तरांचली लोक-साहित्य व हिन्दी लोक-साहित्य का प्रबंधन आदि बारह साहित्यिक पुस्तकों के साथ ही ग्यारह वैज्ञानिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा सत्रह अन्य प्रकाशनाधीन हैं। इसी के साथ ही आपके2500 से अधिक का प्रकाशन कार्य सम्पन्न हुआ है।
आप भारत के माननीय राष्ट्रपति महोदय से पुस्तक लेखन हेतु राजभाषा गौरव पुरस्कार प्राप्त करने के साथ ही महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी का जैनेन्द्र कुमार अवार्ड व भारत सरकार का डा. राजेन्द्र प्रसाद पुरस्कार सहित 35 पुरुसकर प्राप्त हुए हैं।
आप एक ओजस्वी वक्ता, कवि व कुशल मंच संचालक के साथ ही सामाजिक, लोक- साहित्य व राजभाषा विषय के विशेषज्ञ के रूप में कई संस्थाओं आदि के अतिथि वक्ता भी हैं। आपके आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं निजी चैनलों से कई गीत, कविताएं, वार्ताएं व कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं । आपने हिन्दी एवं उत्तराखण्डी (गढ़वाली, कुमाऊँनी) की कई फिल्मों व एलबमों के लिए गीत व कहानियॉ भी लिखी हैं ।
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