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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palतारा जी लिखित उपन्यास, ‘दूसरी औरत’ को पढने के बाद ऐसा महसूस होता है कि यह कहानी, घटना मात्रका वर्णन नहीं है, बल्कि समय काल की मनोवृति के बाहरी और भीतरी, दोनों ही उपादानों, करुणा- त्याग, भक्ति से प्रतिस्थापित होती हुई प्रतीत होती है| इसमें लोक जीवन के जातिवाद तथा ऊँच-नीच के कलुष पंक को धोने के लिए नवमानस की अंतर पुकार है, तो अंत:करण को संगठित करने वाला मन, चित्त, बुद्धि और अहंकार जैसे अवयवों का सामंजस्य भी है|
लेखिका ने अपनी कल्पनाओं को नव-नव उपमाओं द्वारा उसे सजीव रूप प्रदान करने के लिए पंख देती है, जिसमें पूर्णरूपेण सफल भी हैं| यह कहानी एकाकी नहीं है| इसका स्वर, इसकी रचना, अंतरंगता की एकांत धरातल पर हुई है, जो कि कहानी को मुखर कर देता है| सौन्दर्यबोधतथा ऐश्वर्य की दृष्टि से यह उपन्यास सर्वोत्क्रुष्ट और चमत्कारिक सृजन है| इसे पढ़ते वक्त चरित्र सजीव हो उठता है| धर्म, नीति, दर्शन आदि सिद्धांतों से परिपूर्ण किरदारों के आपसी संवाद कानों में घुलने लगते हैं| लेखिका एक कुशल स्वर्णकार की भाँति प्रत्येक दृश्य को समय, काल और परिस्थिति के अनुकूल, नाप-तौलकर, काट-छाँटकर, कुछ नए गढ़कर, अपनी सूक्ष्म भावनाओं में अपनी कोमलतम कलेवर दिया है|
डॉ. तारा यह मानती है कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए पुरुष हो या नारी, दोनों को जीने का सामान अधिकार चाहिए, क्योंकि राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के प्रत्येक क्षेत्र में, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन तभी आ सकता है, जब पुरुष और नारी, दोनों शिक्षित हो| इस उत्कृष्ट उपन्यास को पढ़कर, मुझे महसूस होता है, कि यह उपन्यास भविष्य में विश्व कथा-साहित्य की धरोहर बनेगी |
डॉ. तारा सिंह
डॉ. तारा सिंह, जाने-माने हिंदी साहित्यकार, एक बहुमुखी लेखक, कवि, लघु कथाकार, उपन्यासकार, गजलकार, फिल्मी गीतकार और निबंध रचनाकार के रूप में प्रसिद्ध हैं| अब तक उनकी 46 पुस्तकें प्रकाशित होकर विश्व-व्यापी ख्याति अर्जित कर चुकी हैं| सामाजिक और पारिवारिक मुद्दों, व्यक्तिगत और सामाजिक विषयों, जीवन के दर्शन और वास्तविकता, जन्म और मृत्यु चक्र, आदि से सम्बंधित इन्होंने अपनी भावनात्मक और विचारशील रचनाओं के लिए व्यापक प्रशंसा प्राप्त की है|
इनकी रचनाएँ हमेशा वास्तविक तथ्यों और व्यक्तियों / परिवार के सदस्यों / दोस्तों के बीच संबंधों के मूल पहलुओं से संबंधित होता है| इस प्रकार, वे न केवल सुखद प्रेम का चित्रण करती है, बल्कि निराशा, विश्वासघात और अव्यवस्था जैसे विषयों पर भी लिखती रही हैं|
ये वर्तमान में www.swargvibha.com (एक प्रमुख हिंदी वेबसाइट) और स्वर्गविभा हिंदी त्रैमासिक पत्रिका के प्रधान संपादक और प्रशासक के रूप में काम कर रही हैं|
इन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा 255 पुरस्कार / सम्मान / मानदोपाधि / ट्राफी से सम्मानित किया जा चुका है| इनकी रचनाएँ / पुस्तकें अब www.swargvibha.com और www.kukufm.com (ऑडियोबुक के रूप में), Google पुस्तकें, www.amazon.in, www.flipkart.com, इंस्टा पब्लिश, सुमन प्रकाशन, www.pothi.com, सेंट्रल एन्ड स्टेट लाइब्रेरीज़ इन इंडिया और दुनिया भर के 30 अन्य वेबसाइटों पर, दुनिया भर में उपलब्ध हैं| इनकी जीवनी बार्न्स एंड नोबल (यूएसए 2011) द्वारा और रिफासिमेंटो इंटरनेशनल द्वारा “हूज़ हू” 9 बार (2006-2019) और विकिपीडिया में प्रकाशित की गई हैं| इनकी रचनाएँ हमेशा गंभीर विचारों, विषयों, घटनाओं की गति और जीवन के दर्शन से भरी होती हैं|
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