You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Read in your favourite format - print, digital or both. The choice is yours.
Track the shipping status of your print orders.
Discuss with other readersSign in to continue reading.

"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयू तो मानव जीवन में। ऐसी कई दुर्घटनाएं होती रहती है जो कभी कभी उन्हें ख़ुशी देती है तो कभी उन्हे जीवन भर का दुःख देके चली जाती है इसी आधार पर मेरी आज कि ये छोटी सी कहानी है जो एक लड़की से शुरू होती है जिसने सिर्फ अपनी आधी जिंदगी को जिया है और उस आधी ज़िंदगी में उसके जीवन में जितनी भी दुर्घटनाएं होती है उन् दुर्गघटनाओ से उसका जीवन कैसे प्रभावित होती है यही इस कहानी का मूल भाव है। यह कहानी मनोविज्ञान पर अधारित है और कई संवेदनाओं से गुज़रती हुई आपके दिल को आतम्घात् भी करती है.....
इस कहानी में उस लड़की के जीवन में जितनी उतल पुथल होती है वो आपका मनोरंजन तो करती ही है पर आपको सोचने पर भी मजबूर कर देती है। इस कहानी के सभी पात्रो कि अपनी विशेषताएं है और सबकी अपनी एक अलग ही अहम भूमिका दिखाइ गई है ।इन्ही पात्रों कि भूमिका इस कहानी कि पूरी दुर्घटनाओं को रचती हैं।।
शुरुआत करते है उस लड़की कि कहानी जिसका नाम शायना है।।.........
कहानी को शुरू करने से पहले मे शायना के बारे में आपको बताना चाहूंगी.... शायना पंडितों के परिवार में जन्मी,शहर में पली बड़ी एक लड़की है। शायना के परिवार मे उसके माता पिता के आलावा उसकी दोनों दीदियां, और एक छोटा भाई है।।
शायना के घर में उसकी बड़ी बहन ( पूर्वी) और उसके पापा ही घर को संभालते है।शायना और उसका छोटा भाई अभी अपनी शिक्षा पूरी कर रहे है और ( शायना कि दूसरी बड़ी बहन (जयश्री ) घर पर ही रहती है।।
जो एक सीधी स्वभाव कि महिला है पिता के प्यार से वन्छित् लता अपने बच्चों के साथ घुल मिल के रहती है और समाज मे अपने सीधेपन और मिठास भरी बोली के साथ अपनी एक अलग छवि रखती है....
It looks like you’ve already submitted a review for this book.
Write your review for this book (optional)
Review Deleted
Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.
शालू त्रिपाठी
शालू त्रिपाठी दिल्ली शहर में जन्मी मै एक ब्राह्मन् परिवार से हूँ मनोरंजन से भरी सात सदस्यो कि मेरी फॅमिली जहां बहुत प्यार है लगाव है आपसी प्रेम है और आपस मे रोज़ होती मीठी-मीठी टकरार है बस इसी में सिमटी है मेरी ज़िंदगी। मेरी पिछले बर्ष हि स्नातक कि पढ़ाई पूरी हुई है दोस्तों से बिछड़ने का गम है पर यादें उनकी अभी भी दिलो में जिंदा है ये यादें हि मुझे अपने दोस्तों से कभी दूर नहीं होने देती मेरे लिए सबसे एहम् प्यार है क्योकि प्यार हि एक ऐसी चीज़ है जो आपको बनाता भी है और बिगाड़ता भी है प्रेम अमृत है जो आपको हमेशा अमर रखता है। अपने सपनो को पुरा करने कि चाह सबको। होती है पर में अपने सपनो को रोज़ नई उड़ान देती हूँ कम पलो मे छोटी छोटी खुशियों में ज्यादा बेहतर कि उम्मीद ना करके अपने आज में जीती हूँ मेरा हर लक्ष्य मेरा कर्तवेय् है मेरी रूचियां मेरी खुबियां अनेक है मैंने हर कला का सम्मान किया है गायन, नृत्य, चित्रकारी,लेखन,आदि का बेशक मुझे कम ज्ञान है पर इन्ही में मेरी सारी रुचियां सारी खुबियां सम्मिलित है अभी जीवन का आधा हिस्सा हि जिया है मैंने अभी आगे कि पूरी जिन्दगी बाकी है जितना भी अभी तक जिया और अनुभव किया मेरी हर तलाश ने मुझे नाकामयाब किया और हस्ते हस्ते भी खूब रुला दिया समय के साथ मेरा जीवन भी बदलता चला गया और आज ऐसा हाल है कि बस खुद से बातें होती है और खुद में मुस्कुराए हुए फिरते है। जितना मै टूटी उतनी हि सवरती चली गई किसी कि जान ना बन सकी पर लॉगो के लिए मिसाल ज़रूर बनूँगी।
India
Malaysia
Singapore
UAE
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.