आज जिस प्रकार से कुछ लोग इस्लाम को बदनाम करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं जिसमें मुख्य यह कि पवित्र क़ुरआन में क्या इंसानियत है? इस्लाम धर्म के मानने वालों के अलावा अधिकतर धर्म में कुछ व्यक्तियों द्वारा बदनाम करने का असफल प्रयास किया जाता है।
कुछ लोग तो न समझ नादान लोग गुमराह हो जाते हैं लेकिन जो पढ़े लिखे होते हैं या जिसके अंदर जिज्ञासा होती है कि आखिर में उनकी बात कितनी सही है? तो उसके लिए पवित्र क़ुरआन में तहकीकात करने लग जाते हैं कि सच क्या है? लेकिन सच क्या है वह खुद ही समझ सकते हैं। और कुछ लोग तो पवित्र क़ुरआन में कमी ढूंढने के उद्देश्य से रिसर्च करते हैं लेकिन उनके हाथ मात्र निराशा ही लगती है क्योंकि एक शब्द में यदि गलत प्रचार किया गया होता है तब वह उस शब्द के आगे और पीछे की बातों को पढ़कर समझ सकता है जिससे उसका भ्रम दूर हो जाता है। यही पवित्र क़ुरआन की विशेषता है। इस पुस्तक में पवित्र क़ुरआन के अंदर जो आयतें प्रस्तुत की गई है कृपया आप खुद उसका अवलोकन करें ताकि और विचार करें जिससे बात स्पष्ट हो सके यह तो तकरीबन डेढ़ हजार साल पुरानी बातें हैं लेकिन वह आज भी लागू होती हैं यही इसकी विशेषता है।
मुझे इस पुस्तक से काफी उम्मीद है की इससे आप लाभ उठाएंगे और जानकारी प्राप्त होगी । मैं भी एक इंसान हूं मुझे जितना समझ में आता है मैं पेश कर देता हूं अब आपको इसे समझने की आवश्यकता है। कृपया पढ़ें और यदि कोई कमी नजर आए तो अवगत करायें ।
धन्यवाद
आपका- अब्दुल वहीद, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश, भारत (इंडिया
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