"इब्तिदा से अब तक" किताब के उन्वान से शायद कुछ हद तक ये अंदाजा लगाना आसान होगा की किसी सफर के शुरुआत से अब तक का जिक्र किताब में किया गया है। दरअसल इस किताब में ना केवल मोहब्बत की शुरुआत का जिक्र है, बल्कि मोहब्बत के साथ-साथ हिज़्र, बगावत, हकीकत, नफ़रत, एकतरफा मोहब्बत, धोखा, इंतजार बहुत सी कहानियों की शुरुआत का जिक्र है।
मैं मेरे जीवन में हुई हर एक नयी शुरुआत को मैंने मेरे अहसास के साथ हर्फो मे लिखने की कोशिश की है। कहते हैं कि किसी वाक्या को ब्या करने में ग़र खुबसूरती की कमी नज़र आए तो शायरी उस कमी को दूर करने के लिए सबसे सही तरीका है। तों मैंने भी मेरे अहसासो को खुबसूरती से नवाज़ने की कोशिश की ओर शायरी के रुप में, लिख दी जिदगी की तमाम हकीकत।
और इस तमाम अभी तक की हकीकत को मैंने नाम दिया 'इब्तिदा से अब तक'।
चुकी ये मेरी शायरी की दुनिया की पहली किताब है, जिसमें मेरे गुजिस्ता सालों के शायरी के सफर को शुरुआत से अब तक आप के साथ सांझा करुगा, इसलिए मैंने इस किताब को 'इब्तिदा से अब तक' नाम देना मुनासिब समझा।
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