मैं अपनी काव्य पुस्तिका को आपके समक्ष प्रस्तुत की हूँ। मेरी कविताओं में जीवन के उन पलों को छूने का प्रयास किया गया है जो जीवन को झकझोर देते हैं। आज सम्पूर्ण संसार वितृष्णा की ज़िन्दगी जीने को मजबूर है, प्रेम,सौहार्द, बन्धुत्व व आपसी मेल - मिलाप नगण्य हो गये हैं, रिश्तों पर भौतिकवाद प्रभावी हो गया है, ऐसे में इस लघु काव्य - पुस्तिका को आप सबों के समक्ष प्रस्तुत कर रिश्तों में पुनः मिठास लाने का प्रयास की हूँ। सुख - दुःख के साम्य पर जीवन को खड़ा कर के एक सुनहरे सप