"कलम बोलती है” साँझा संकलन मानव जीवन के इर्द-गिर्द घूमते परिदृश्यों को प्रतिबिम्बित करता एक अनूठा संग्रह है। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से रचनाकारों ने अपनी क़लम से अपने अन्तर्मन के जज़्बातों को अभिव्यक्त किया है। इस ज़िन्दगी में कई पेचिदगियाँ है, जिन्हें मनुष्य अपने-अपने ढ़ंग से सुलझाने का प्रयास करता है और इसी दौरान वह कई मीठे-कड़वे अनुभव लेता है। उन्हें ही इस अंक में प्रकाशित करके इसे उत्कृष्ट स्वरूप दिया गया है।
आशा है यह रचनाधर्मियों और पाठक वृ