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ये पुस्तक समर्पित है भारतीय दर्शन को जिसने विश्व को कर्म के सिद्धांत दिए।
"कर्मा" कर्मों की कहानी है। इंसान के अच्छे और बुरे कर्मों की, और मानव जीवन पर पड़ने वाले उनके प्रभावों की।
एक बीस वर्षीय युवांगना मरना चाहती है। उसके जीने की इच्छा समाप्त हो चुकी है। अपनी नियति की तलाश मे वो लंदन से भारत आती है।जहां उसकी मुलाकात उसके अतीत से होती है जो कि काला और दागदार है। और जिसकी कालिख उसके वर्तमान को भी धूमिल कर रही है।
क्या वो अपने अतीत के रहस्य को कभी जान पायेग
पेशे से इंजीनियर, 1982 मे पैदा हुये नवीन कुमार मूलतः जगदलपुर, छत्तीसगढ़ के निवासी हैं।
इंजीनियरिंग मे स्नातक और प्रबंधन मे स्नातकोत्तर नवीन कुमार उदयमान लेखक और कवि हैं। बहुमुखी प्रतिभा संपन्न, कलम के धनी, नवीन जी, मानवीय भावनाओं को अपने लेखनी के माध्यम से कागज पर उकेरने मे सिद्धहस्त हैं। नवीन कुमार, काव्यात्मक भाषा शैली और दमदार लेखन से अपने पहले काव्य संग्रह "परिचय विहीन" और दूसरी प्रका