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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palजब से पृथ्वी पर मानव की उत्पत्ति हुई है तब से मानव के मन मे अपने होने के कारण को लेकर अलग अलग विचार उठते रहे है। विभिन्न धर्मो और दर्शनों की उत्पत्ति का एकमात्र कारण भी मानव मन की खुद को जानने की जिज्ञासा ही है। मानव मस्तिष्क दुनिया का सबसे रहस्यमयी यंत्र है जिस को पूरी तरह समझना किसी के बस की बात नही, फिर भी विज्ञान अपने तरीके से इसकी थाह पाने में अनवरत लगा हुआ है। प्राचीन भारतीय मनीषा विशेषकर योग की परंपरा ने मानव की स्वयं की खोज के लिए ध्यान की 112 विधियों का आविष्कार किया था, जो सभी अलग अलग रास्ते थे अपने अस्तित्व के मूल को जानने के जिसे आत्मा कह कर संबोधित किया जाता है। अद्वैतवाद के अनुसार मैं ही परमात्मा हूँ यानी अहम्ब्रह्मास्मि या तत्त्वमसि अर्थात तू ही परमात्मा है इस का अर्थ प्राणिमात्र में ईश्वर के दर्शन, दुनिया मे इस विचार से ऊंचा कोई आध्यात्मिक विचार नही है। जब कोई व्यक्ति इस स्थित में आ जाता है तो उसे बुद्ध या जीवन्मुक्त कहते है, यही आध्यात्मिक जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य भी है। खुद को जानने की उत्कट अभिलाषा से ही व्यक्ति के आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत होती है, जो अंततोगत्वा उसे पूर्णता की राह पर ले जाती है। इसी खुद की खोज की दिशा में ये काव्यसंग्रह "कस्तूरी कुंडल बसे" एक छोटा सा प्रयास है।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.डॉ मुकेश अग्रवाल
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी है आयुर्वेद एवं समाजसेवा में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित डॉ मुकेश अग्रवाल :
पेशे से बालों के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ मुकेश अग्रवाल के जीवन के बहुत से आयाम है, जिनके बारे में उनके जीवन को बारीकी से जानने पर पता लगता है।
आयुर्वेद मेडिसिन में ग्रेजुएट होने के साथ साथ वे कानून, मीडिया एवं अल्टरनेटिव मेडिसिन में पोस्टग्रेजुएट एवं योगा, प्राकृतिक चिकित्सा, मैनेजमेंट तथा फार्मेसी में डिप्लोमा होल्डर है। मनोविज्ञान एवं दर्शन में उनकी विशेष रुचि है।
स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानने वाले और सनातन मूल्यों को अपने जीवन मे उतारने के लिए संकल्पित डॉ अग्रवाल मन से एक कवि है, उनके चार काव्यसंग्रह 'सिर्फ एक मानव हूँ मैं", "वक़्त के दरमियाँ" "भोर की ओर", एवं "खोज ख़ुद की" प्रकाशिक हो चुके है। वो एक लेखक है, उनके लेख अक्सर राष्ट्रस्तरीय पत्र पत्रिकाओं में छपते रहते है। वो एक ओजस्वी वक्ता एवं मोटिवेशनल स्पीकर है और विभिन्न प्रेरक मंचो पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते है। वो एक यूट्यूबर है, उनके अपने दो यूट्यूब चैनल है। वो एक एंटरप्रेन्योर है, जिन्होंने VHCA के विभिन्न वेंचर्स को एक नया आयाम दिया है और सबसे खास बात वो एक चिंतक एवं समाजसेवी है जो अपनी अर्धांगिनी एवं VHCA Foundation की अध्यक्षा श्रीमती अनुराधा अग्रवाल के साथ मिलकर पूरे भारतवर्ष में भूर्ण-हत्या, पर्यावरण, गरीबी, बेरोजगारी आदि गंभीर समस्याओं पर विचार करते है और उनके निवारण हेतु काम करते है। मातृभाषा हिंदी से विशेष लगाव होने के कारण हिंदी के प्रचार प्रसार एवं संवर्धन हेतु हर साल हिंदी दिवस पर राज्यस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन करते है। हर साल बालों की राष्ट्रीय कांफ्रेंस TRICHON करते है। चिकित्सा एवं समाजसेवा के कार्यो में अतुलनीय योगदान के लिए डॉ मुकेश अग्रवाल को अनेको राज्य एवं राष्ट्रस्तरीय पुरुस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
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