लॉकतंत्र” कला काव्य और साहित्य रचना अनुरागियों के लिए एक सुखद रस अनुभूति लिए, तमाम घरों के भीतर के निशब्द भावों को शब्द देने का प्रयास है | दरअसल जब परतंत्र से स्वतंत्र, राजतंत्र से लोकतंत्र होने का रक्तरंजित इतिहास वर्तमान के पन्नों पर उतर आया हो | तब एक बार पलटकर देखना मज़बूरी हो जाता है |
जो याद दिलाए की- कैसे ‘खोकर अनेकों चिराग-ओ-चमन, हुआ है स्वतंत्र हमारा ये वतन | जहां, कोना कोना मासूमों के खून से अँट गया, कैसे धर्म के आधार हमारा देश बँट गया