एक लेखक और उसकी कलम का क्या रिश्ता होता है ये तो सभी जानते हैं। लेकिन उस रिश्ते को आधार जो देती है वो है "स्याही"। लिखने वाले के मन से निकलकर कलम के द्वारा जो कागज पर उतरती है वो होती है "स्याही"।
"मैं स्याही हूँ" इसी संदर्भ में संकलित किया गया एक काव्य संकलन है। जिसमें "30 लेखक लेखिकाओं" ने अपने मन को स्याही में बदला है। जिसके लिए मैं उन सभी की हार्दिक आभारी हूँ।
आशा है की यह पुस्तक पाठकों को अवश्य पसंद आएगी।